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अब बिजली संकट से मिलेगी निजात; नए टावर और लाइन से चमकेगा उत्तराखंड; केंद्र से मिली मंजूरी

उत्तराखंड को आगामी अक्टूबर माह से बिजली संकट से स्थायी रूप से निजात दिलाने को कोयला आधारित संयंत्रों से 400-450 मेगावाट बिजली के स्थायी आवंटन पर केंद्र सरकार ने सहमति दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को नई दिल्ली में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से भेंट कर राज्य के समक्ष ऊर्जा संकट के स्थायी समाधान की पुरजोर पैरवी की।

 

ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए बेस लोड सुरक्षित करना आवश्यक है।

केंद्रीय मंत्री ने आश्वस्त किया कि अतिवृष्टि से राज्य में विद्युत लाइनों और टावरों को हुई क्षति की पूर्ति केंद्र सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्यों के लिए अलग से मानक निर्धारित कर सीमांत क्षेत्रों में विद्युत लाइन व संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।

 

 

मुख्यमंत्री धामी ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से कहा कि उत्तराखंड की ऊर्जा सुरक्षा को देखते हुए बेस लोड सुरक्षित करना आवश्यक है।

 

400 से 450 मेगावाट का स्थायी आवंटन किया जाए।

राज्य को व्यापक विद्युत कटौती से मुक्त रखने को कोयला आधारित संयंत्रों से 400 से 450 मेगावाट का स्थायी आवंटन किया जाए। उन्होंने राज्य को केंद्रीय पूल से अतिरिक्त विद्युत उपलब्ध कराने का अनुरोध भी किया।

 

इस वर्ष अप्रैल से सितंबर माह तक प्रतिमाह औसतन 300 मेगावाट विद्युत प्रदेश को अनावंटित कोटे से उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का आभार भी जताया।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ऊर्जा की कुल उपलब्धता का 60 प्रतिशत से अधिक जलविद्युत संयंत्रों से है।

 

400 मेगावाट विद्युत उपलब्ध कराने की संस्तुति की है।

शीत ऋतु में इन संयंत्रों से उत्पादन एक-तिहाई रह जाता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की तकनीकी समिति ने अपनी रिपोर्ट में प्रदेश में बेस लोड की अनुपलब्धता को माना है।

 

साथ ही राज्य को कोयला आधारित संयंत्रों से अतिरिक्त लगभग 400 मेगावाट विद्युत उपलब्ध कराने की संस्तुति की है। उन्होंने कहा कि राज्य में सौर ऊर्जा, जलविद्युत एवं कोयला से विद्युत उत्पादन के लिए दीर्घकालिक योजना पर कार्य किया जा रहा है।

 

इस अवसर पर केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अरोड़ा, प्रदेश के ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम एवं ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार उपस्थित थे।

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