



कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत की उपेक्षा के मामले को लेकर कांग्रेस में अंदरूनी खींचतान विधानसभा सत्र के दौरान भी उभर कर सामने आई। हरीश समर्थक कुछ विधायकों की नाराजगी नेता प्रतिपक्ष से अधिक और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के प्रति कम दिखी। कांग्रेस के उपनेता करन माहरा, धारचूला विधायक हरीश धामी और जागेश्वर विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी जाहिर करने में गुरेज नहीं की।इन विधायकों की नाराजगी मीडिया के सवालों के जवाब में ही सामने आई। सदन में कांग्रेस रणनीतिक रूप से एक साथ ही दिखाई दी। सबसे ज्यादा मुखर हरीश धामी दिखाई दिए, लेकिन सदन में कांग्रेस के प्रस्तावों के समर्थन में बोलने से उन्हाेंने गुरेज नहीं किया। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह इस मामले में संतुलित ही रहे और विवाद को सिरे से खारिज करते रहे।
हरीश रावत को अलग-थलग करने की साजिश की जा रही है। मैं हाईकमान से भी बात करूंगा। यह कहने में मुझे गुरेज नहीं है कि यही हाल रहा तो कांग्रेस 2022 में एक विधायक पर सिमट जाएगी। तीन साल से कांग्रेस को डुबाने की कोशिश हो रही है।
कांग्रेस के नेताओं को समझना चाहिए कि हरीश रावत प्रदेश में कांग्रेस के लिए जरूरी हैं। मैं किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहता, लेकिन नेताओं से कहना चाहता हूं कि हरीश रावत की उपेक्षा नहीं की जा सकती है।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह को मैं जानता हूं, वे बहुत नरम स्वभाव के हैं। उनकी ओर से हरीश रावत की उपेक्षा नहीं हो सकती। लेकिन कांग्रेस में जो लोग ऐसा कर रहे हैं, उनकी पहचान होनी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश कई मौकों पर हरीश रावत के खिलाफ बयान देती रही हैं।
– करन माहरा, उपनेता कांग्रेस विधायक दल
हरीश रावत हमारे नेता हैं, उनकी उपेक्षा का सवाल ही नहीं उठता। सिर्फ रैली में फोटो न होने को उपेक्षा नहीं कहते। कई जगह मेरा फोटो नहीं होता तो क्या मैं उपेक्षित हो जाता हूं? मेरे पूर्व के एक बयान के अर्थ का अनर्थ किया गया।