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उत्‍तराखंड में बेमौसम वर्षा से लीची और आम को हुआ भारी नुकसान, आसमान छू रहे दाम

प्रदेश में बीते अप्रैल और मई में हुई बेमौसम वर्षा ने आम व लीची की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। मौसम में आए इस बदलाव से लीची की 20 से 30 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई। यह आंकड़ा उद्यान विभाग के प्रारंभिक सर्वे का है, जो आगे बदल भी सकता है।

 

जबकि, आम की फसल को हुई क्षति का सर्वे विभाग अभी कर रहा है। इन फलों का उत्पादन घटने का असर बाजार में भी नजर आ रहा है। बीते वर्षों की तुलना में इस बार आम के दाम कहीं अधिक हैं, जबकि लीची की कीमत आसमान छू रही है।

 

 

उद्यान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. डीसी डिमरी ने बताया कि आम और लीची को अधिक तापमान की आवश्यकता होती है, लेकिन अप्रैल-मई में निरंतर वर्षा और ओलावृष्टि होने से दोनों फसलों को आवश्यक तापमान नहीं मिल पाया। इससे फल पूरी तरह विकसित नहीं हो पाए।

 

वर्षा और ओलावृष्टि का असर परागण पर भी पड़ा। इसके चलते आम के पेड़ों से परागकण बह गए। नमी के चलते कई जगह आम को काला फंगस का हमला भी सहना पड़ा। इससे भी पैदावार पर असर पड़ा। इसी तरह वर्षा अधिक होने से कहीं लीची में कीड़े लग गए तो कहीं ओलावृष्टि ने फल को क्षतिग्रस्त कर दिया।

 

दशहरी पर ज्यादा असर

उत्तराखंड में करीब साढ़े चार लाख बागवान हैं। बात आम की करें तो मौसम में आए बदलाव की सबसे ज्यादा मार दशहरी पर पड़ी है। इसके आकार और स्वाद में अंतर आया है। उत्पादन भी काफी कम हुआ है। दशहरी में काला फंगस का हमला सबसे अधिक देखा गया।

 

आम का सर्वाधिक उत्पादन ऊधमसिंह नगर, देहरादून, उत्तरकाशी, पौड़ी, टिहरी और हरिद्वार में होता है। राज्य में आम का कुल रकबा 35,911 हेक्टेयर है। गत वर्ष 1,49,727 मीट्रिक टन आम का उत्पादन हुआ था। इसमें 35,000 मीट्रिक टन उत्पादन ऊधमसिंह नगर में हुआ। आम की दशहरी, लंगड़ा, चौसा, बांबे ग्रीन, आम्रपाली, मल्लिका आदि प्रजातियों का उत्पादन उत्तराखंड में होता है।

 

लीची की 20 प्रतिशत से अधिक फसल खराब

राज्य में लीची का कुल रकबा 10,253 हेक्टेयर है। इस क्षेत्रफल में गत वर्ष 23,742 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ था। सर्वाधिक लीची दून में होती है। उद्यान विभाग के सर्वे में ही लीची की लगभग 20 प्रतिशत फसल बर्बाद होने की जानकारी सामने आई है।

 

इस बार आम में पहले ही बौर कम आई थी। उस पर आंधी, वर्षा और ओलावृष्टि ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया। बीच-बीच में आंधी आने से कच्चे आम गिर गए, जिन्हें औने-पौने दाम पर बेचना पड़ा।

 

तसलीम, बागवान

 

मंडी में अभी सीमित मात्रा में दशहरी आम आ रहा है। आवक समय के साथ बढ़ जाएगी, लेकिन यह आम जिस मिठास के लिए जाना जाता है, वह इस बार गायब है। आकार भी पहले जैसा नहीं है।

 

महेश उनियाल, व्यापारी

 

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