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38वें नेशनल सिंपोज़ियम ऑन प्लाज़्मा साइंस एंड टैक्नोलॉजी, प्लाज़्मा-2023 का आयोजन

देहरादून स्थित मल्टीडिसप्लनेरी यूनिवर्सिटी UPES ने हाल ही में प्लाज़्मा साइंस सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीएसएसआई) के साथ मिलकर 38वें नेशनल सिंपोज़ियम ऑन प्लाज़्मा साइंस एंड टैक्नोलॉजी, प्लाज़्मा-2023 का आयोजन किया।

यह चार-दिवसीय कार्यक्रम ने विभिन्न विषयों पर चर्चा करने का मंच दिया जहां वैज्ञानिक, टैक्नोलॉजिस्ट, अकादमिक क्षेत्र के लोग और शोधार्थी एकत्रित हुए, ताकि वे प्लाज़्मा साइंस और टैक्नोलॉजी के बारे में विचारों का आदान-प्रदान कर सकें।

कार्यक्रम में देश भर से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें शोधार्थी, अकादमिक क्षेत्र के लोग और वैज्ञानिक शामिल थे। कॉन्फ्रेंस की शुरुआत शशांक चतुर्वेदी, डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ प्लाज़्मा रिसर्च (आईपीआर) और कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन के ऑनलाइन संबोधन के साथ हुई। भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान (आईआईटी), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज़्मा रिसर्च (आईपीआर), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और यूनिवर्सटी ऑफ कैलिफोर्निया जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के कई जाने-माने वैज्ञानिकों ने विभिन्न विषयों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। इनमें फंडामेंटल प्लाज़्मा, हाई-टेंपरेचर प्लाज़्मा, स्टिम्यूलेटेड प्लाज़्मा, प्लाज़्मा के इस्तेमाल जैसे विषय शामिल रहे।

कॉन्फ्रेंस की खास बात प्रोफेसर शिशिर देशपांडे, सीनियर प्रोफेसर, आईपीआर और पूर्व डायरेक्टर, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर-इंडिया) द्वारा “भारतीय फ्यूज़न के रोडमैप की तैयारी: साइंस, टैक्नोलॉजी एवं कारोबार के अवसर” विषय पर दिया गया संबोधन था। इसके अलावा, डॉ. राम शर्मा, वाइस चांसलर, यूपीईएस विश्वविद्यालय ने शोध के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया और शोध को पढाई के पाठ्यक्रम में शामिल करने पर ज़ोर दिया।

प्लाज़्मा साइंस और टैक्नोलॉजी क्षेत्र के शोधार्थियों के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मानित करते हुए यह कार्यक्रम जबरदस्त जानकारी देने वाले प्रेज़ेंटेशन और प्रतिष्ठित पुरस्कार समारोह का अनोखा मिश्रण भी साबित हुआ। जेएनयू, दिल्ली के पल्लब बोरो और राजा रमन्ना सेंटर फॉर एडवांस्ड टैक्नोलॉजी (आरआरसीएटी), इंदौर के तीर्थ मंडल को उनके बेहतरीन योगदान के लिए बुटी यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड (बीवाईएसए) के साथ 10,000 रुपये के नकद पुरस्कार जैसे पुरस्कार भी वितरित किए गए। इसके अलावा, डॉ. अमरीन आरा हुसैन, साइंटिफिक ऑफिसर-डी, इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज़्मा रिसर्च, गांधीनगर को 50,000 रुपये के नकद पुरस्कार के साथ प्रतिष्ठित परवेज़ गुज़दार अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें हाइब्रिड मैटेरियल्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों और प्लाज़्मा टैक्नोलॉजी के क्षेत्र में शानदार योगदान देने के लिए दिया गया।

यूपीईएस ने कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने वाले प्रतिभागियों के लिए ऋषिकेश, मसूरी जैसी उत्तराखंड की खूबसूरत जगहों पर घूमने का कार्यक्रम भी आयोजित किया।

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