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उत्तराखंड में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए शासन का आदेश हुआ जारी

प्रदेश में रोजगार का मुख्य साधन पर्यटन ही है। प्रकृति की गोद में विराजमान यह राज्य अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड की सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है। अब इसी कड़ी में सरकार ने एक और कदम आगे बढ़ाया है और ईको टूरिज्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कार्य शुरु कर दिया है।

 

71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों से रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में सरकार ने महत्वपूर्ण पहल की है। कैबिनेट के निर्णय के क्रम में राज्य के वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म की गतिविधियों को बढ़ावा देने और नए स्थल विकसित करने के उद्देश्य से रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लागू कर दिया है। शासन ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं।

 

 

क्या है रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल

रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के तहत वन पंचायतों के अधीन वन क्षेत्रों में ईको टूरिज्म गतिविधियों के संचालन व संरक्षित क्षेत्रों से बाहर नए स्थल विकसित करने पर राजस्व अंश में रियायत दी गई है। कैबिनेट की 18 मई को हुई बैठक में प्रदेश में ईको टूरिज्म गतिविधियों में रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लागू करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दी गई थी।

 

प्राप्त आय का 20 प्रतिशत हिस्सा राजकोष में किया जाएगा जमा

अब इस सिलसिले में जारी शासनादेश के अनुसार संरक्षित क्षेत्रों से बाहर वन क्षेत्रों में नए ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन में प्रवेश शुल्क, साहसिक गतिविधियां, पार्किंग, कैंपिंग आदि के लिए जाने वाले शुल्क से प्राप्त आय का प्रथम वर्ष में 10 प्रतिशत और इसके बाद 20 प्रतिशत हिस्सा राजकोष में जमा किया जाएगा। शेष राशि संबंधित संस्थाएं रखरखाव पर व्यय कर सकेंगी। ऐसे स्थलों में जिस भी समय व्यय के उपरांत अवशेष धनराशि पांच करोड़ से अधिक होगी तो पांच करोड़ से ऊपर की राशि भी राजस्व मद में जमा की जाएगी। इस मॉडल से वन पंचायतों को अधिक लाभ मिलेगा।

 

इको टूरिज्म डेस्टिनेशन विकसित करने के लिए बनी नीति

राज्य में साढ़े सात हजार हेक्टेयर जंगलों का जिम्मा 11367 वन पंचायतों के पास है। इनमें ईको टूरिज्म की गतिविधियां संचालित करने पर इससे प्राप्त आय का 90 प्रतिशत हिस्सा संबंधित संस्थाएं इको टूरिज्म साइट के संचालन, विकास, रखरखाव आदि पर व्यय करने को अपने पास रखेंगी। केवल 10 प्रतिशत ही उन्हें राजकोष में जमा करना होगा।

 

पहले से संचालित ईको टूरिज्म गंतव्यों के साथ ही उत्तराखंड ईको टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के माध्यम से चलने वाली गतिविधियों में प्राप्त होने वाली आय का 20 प्रतिशत राजकोष में जमा किया जाएगा। यही नहीं, इको टूरिज्म डेस्टिनेशन विकसित करने में उत्कृष्ट कार्य पर जिलों को प्रतिवर्ष तीन पुरस्कार भी दिए जाएंगे।

 

एक लाख व्यक्तियों को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य

प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु के अनुसार राज्य में ईको टूरिज्म गतिविधियों को बढ़ावा देकर एक लाख व्यक्तियों को रोजगार से जोड़ने का लक्ष्य है। ईको टूरिज्म में स्थानीय निवासियों को स्वरोजगार के अतिरिक्त अवसर उपलब्ध कराने में प्राथमिकता दी जाएगी। उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली आतिथ्य एवं अन्य सेवाओं से प्राप्त होने वाली आय से राजस्व का कोई अंश देय नहीं होगा।

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