onwin giriş
Home उत्तराखंड

जोशीमठ में भू धंसाव का है मामला, एनटीपीसी टनल का मुद्दा भी उठा

जोशीमठ में भू-धंसाव मामले में दिए गए आदेश की अवहेलना पर हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के आदेश दिए हैं। अगली सुनवाई इसी महीने की 22 तारीख को होगी। .मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई हुई।

कोर्ट ने जोशीमठ भू धंसाव मामले में इसी साल जनवरी में सरकार को निर्देश दिए थे कि जोशीमठ में जांच के लिए इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट सदस्यों की कमेटी गठित की जाए, जिसमें पीयूष रौतेला और एमपीएस बिष्ट भी होंगे। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी सरकार ने कमेटी गठित नहीं की और नही की एक्सपर्ट से सलाह ली। पीसी तिवारी ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार जनता की समस्या नजरंदाज कर रही है। उनके पुनर्वास के लिए रणनीति तैयार नहीं की गई है। प्रशासन ने करीब ऐसे 600 भवनों की चिह्नित किया है जिनमें दरारें आईं हैं।

याचिका में कहा कि 1976 में मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ को लेकर विस्तृत रिपोर्ट सरकार को दी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि जोशीमठ शहर मिट्टी व रेत कंकड़ से बना है। यहां कोई मजबूत चट्टान नहीं है। कभी भी भू-धंसाव हो सकता है। पक्के निर्माण करने से पहले इसकी जांच जरूरी है। 25 नवंबर 2010 को पीयूष रौतेला व एमपीएस बिष्ट ने एक शोध जारी कर कहा था कि सेलंग के पास एनटीपीसी टनल का निर्माण कर रही जो जोशीमठ के लिए संवेदनशील है।

Similar Posts

© 2015 News Way· All Rights Reserved.