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प्रदेश में चारधाम यात्रा का समय नजदीक देख परिवहन विभाग इसके सुचारू व सुरक्षित संचालन की तैयारियों में जुट गया

प्रदेश में चारधाम यात्रा का समय नजदीक देख परिवहन विभाग इसके सुचारू व सुरक्षित संचालन की तैयारियों में जुट गया है। इस कड़ी में परिवहन विभाग ने चारों धामों के यात्रा मार्ग का सर्वे करने का निर्णय लिया है। इसके लिए दो प्रवर्तन दलों का गठन किया जाएगा। एक दल गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग तो दूसरा दल बदरीनाथ-केदारनाथ मार्ग का सर्वे करेगा। ये दल यात्रा मार्गों से संबंधित खामियों और सुधार से संबंधित रिपोर्ट तैयार कर सड़क सुरक्षा एजेंसी को सौंपेंगे। फिर सड़क सुरक्षा एजेंसी संंबंधित विभागों से इन मार्गों को दुरुस्त कराने की दिशा में कदम उठाएगी।

प्रदेश में हर साल सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। कोरोना संक्रमण के कारण वर्ष 2020 में यातायात बाधित रहा, फिर भी दुर्घटनाओं की कुल संख्या एक हजार के नजदीक रही। वर्ष 2021 में 1400 से अधिक दुर्घटनाएं हुईं और 820 व्यक्तियों की मौत हुई। यह संख्या वर्ष 2020 से 21 प्रतिशत अधिक रही। कारणों की पड़ताल में ये बात सामने आई कि वाहनों की तेज रफ्तार और खराब सड़कों की वजह से अधिक दुर्घटनाएं हुईं। सड़कों पर जगह-जगह ब्लैक स्पाट और डेंजर जोन भी दुर्घटनाओं का कारण बने हैं। परिवहन विभाग द्वारा प्रदेश की सभी सड़कों के सर्वे में 1700 से अधिक दुर्घटना संभावित क्षेत्र चिह्नित किए गए। इनमें से कुछ ठीक किए गए, लेकिन अब नए स्पाट भी बन रहे हैं। इसे देखते हुए अब एक बार फिर दुर्घटना संभावित स्थलों को चिह्नित करने की कवायद शुरू की जा रही है। चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से यात्री उत्तराखंड में आते हैं। इस कारण विभाग हर साल यात्रा शुरू होने से पहले इन मार्गों का सर्वे करने पर जोर देता है। इस सर्वे में दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया जाता है। वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण परिवहन विभाग द्वारा इन मार्गों का सर्वे नहीं किया गया।

प्रदेश में अब चारधाम आल वेदर रोड और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन का कार्य चल रहा है। इससे कई नए डेंजर जोन बने हैं। तीन मई से चारधाम यात्रा शुरू हो रही है। इसे देखते हुए परिवहन विभाग इन मार्गों का सर्वे कराने की तैयारी में भी जुट गया है। उप परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने कहा कि अप्रैल की शुरुआत में यह सर्वे पूरा करा लिया जाएगा, ताकि यात्रा शुरू होने से पहले दुर्घटना संभावित स्थलों को दुरुस्त किया जा सके।

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