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सत्ता के गलियारे से: दूसरी पारी में जारी मुख्यमंत्री धामी की ताबड़तोड़ बैटिंग

चार महीने में दो बार नेतृत्व परिवर्तन के बाद जुलाई 2021 में जब पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में सरकार की कमान संभाली, तब उनके हिस्से केवल दो बार के विधायक होने का राजनीतिक अनुभव था।

अब वह लगातार दूसरी बार पद संभालने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं, इस कार्यकाल के 13 महीने पूर्ण कर लिए हैं, लेकिन आत्मविश्वास के पैमाने पर वह काफी आगे नजर आ रहे हैं। शायद इसीलिए वह एक के बाद एक ऐसे निर्णय लेते आगे बढ़ रहे हैं, जिन पर बड़े नेता भी काफी सोच-समझ कर बोलते हैं।

चुनाव से पहले राज्य में समान नागरिक संहिता का वायदा किया था, सत्ता में आते ही इसके लिए कमेटी बना दी, जल्द इसकी रिपोर्ट आने वाली है। फिर जबरन मतांतरण पर सजा के प्रविधान को और सख्त करने का कदम उठाया। अब जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने का इरादा भी जता दिया।

भट्ट बोले, कांग्रेस का जुम्मे पर हनुमानचालीसा पाठ
क र्नाटक विधानसभा चुनाव में बजरंग दल पर पाबंदी को लेकर कांग्रेस ने जो दांव चला, भाजपा ने उसका ऐसा तोड़ निकाला कि कांग्रेस को बैकफुट पर आना पड़ा। पार्टी कितनी बुरी तरह अपने ही दांव पर घिर गई, यह इससे समझा जा सकता है कि अब अलग-अलग तरीके से पार्टी नेता सफाई देते घूम रहे हैं। लोकसभा चुनाव को एक वर्ष का ही समय शेष है, इसलिए उत्तराखंड कांग्रेस भी सक्रिय हुई।

इसके लिए कांग्रेस नेताओं ने शुक्रवार को सभी जिलों में हनुमानचालीसा का पाठ किया। भाजपा भला अवसर कैसे चूकती। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस को बुद्धि-शुद्धि यज्ञ कराने की सलाह तो दी ही, यह कहकर पार्टी नेताओं को और अधिक असहज कर दिया कि कांग्रेस को हनुमानचालीसा पाठ के लिए जुम्मे का ही दिन मिला। कांग्रेस के पास जवाब नहीं, क्योंकि पिछले चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मुददे पर कांग्रेस अपने ही चक्रव्यूह में घिर गई थी

2016 के गुनहगार बनाम 10 चुनाव में हार
वर्ष 2016 में हरीश रावत सरकार जाते-जाते बची थी, कांग्रेस के 10 विधायकों ने तब भाजपा का दामन थाम लिया था। फिर यशपाल आर्य 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में गए। 2016 में कांग्रेस छोड़ने वालों में से हरक सिंह रावत और आर्य अब कांग्रेस में लौट चुके हैं। आर्य चुनाव जीत नेता प्रतिपक्ष हैं तो विधानसभा चुनाव न लड़ अब लोकसभा चुनाव में हरिद्वार सीट से ताल ठोकने की तैयारी में हैं हरक।

घरवापसी करते वक्त हरीश रावत को बड़ा भाई बताने वाले हरक अब उन्हें फूटी आंख नहीं सुहा रहे। दरअसल, हरीश रावत भी हरिद्वार से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। हरक के पैंतरों को भांप हरीश ने हरिद्वार की जनता से अपील कर दी कि 2016 गुनहगारों को चुनाव में न उतरने दें। उधर, हरक कह रहे हैं कि 10 चुनाव हारने वाले ऐसी बात न कहें। यद्यपि, दोनों ने एक-दूसरे का नाम लिया नहीं।

एसीआर नहीं, इन्हें तो दो मुक्केबाजी का अधिकार
उत्तराखंड के मंत्री काफी समय से अपने विभागों के सचिवों, यानी आइएएस अधिकारियों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि, जिसे एसीआर भी कहा जाता है, लिखने का अधिकार दिए जाने की मांग कर रहे हैं, फिलहाल मामला लटका हुआ है। इस बीच एक घटनाक्रम के बाद इंटरनेट मीडिया में मंत्रियों को एसीआर के स्थान पर मुक्केबाजी का अधिकार दिए जाने का दिलचस्प सुझाव चर्चा में है।

दरअसल पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल और उनके स्टाफ की एक व्यक्ति, जिसे भाजपा का ही कार्यकर्ता बताया जा रहा है, के साथ जोरदार मुक्केबाजी की घटना का वीडियो सामने आया था। अब मामला दोनों तरफ से पुलिस के पास पहुंच चुका है। बात ने इतना तूल पकड़ा कि भाजपा नेतृत्व तक पहुंच गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंत्री को बुलाकर इस पर नाखुशी जताई। सुझाव है तो बढिय़ा, अगर मसला मुक्केबाजी से निबट जाए तो कौन एसीआर लिखने के फेर में पड़े।

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