



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आइआइपी) ने बायोफ्यूल तकनीक ईजाद कर मेक इन इंडिया को बल दिया है। पीएम मोदी से मिली इस हौसलाअफजाई के बाद आइआइपी के विज्ञानियों का उत्साह सातवें आसमान पर पहुंच गया है। स्वयं संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की बात है। कहा कि प्रधानमंत्री के भरोसे के अनुरूप छह माह के भीतर बड़ी घोषणा की जाएगी। यह घोषणा होगी बायोफ्यूल के कमर्शियल स्तर पर उत्पादन का करार करने की।
आइआइपी के विज्ञानियों की ही अथाह मेहनत का नतीजा था कि 27 अगस्त 2018 का दिन देश के इतिहास में दर्ज हो गया। इस दिन देहरादून स्थित जौलीग्रांट एयरपोर्ट से स्पाइस जेट के विमान ने बायोफ्यूल से दिल्ली तक उड़ान भरी थी। इसके बाद आइआइपी बायोफ्यूल उत्पादन की दिशा में निरंतर प्रगति करता चला गया। हवाई जहाज की पहली उड़ान संस्थान की प्रयोगशाला में तैयार किए गए बायोफ्यूल से भरी थी, जबकि अब वायु सेना के 5.50 करोड़ और सीएसआइआर के 5.50 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद से संस्थान में रोजाना करीब 2500 लीटर क्षमता का प्लांट स्थापित किया जा चुका है।
यह सब करने के बाद अब आइआइपी की निगाह प्रयोगशाला से बाहर निकलकर कमर्शियल स्तर पर बायोफ्यूल का उत्पादन करने पर है। अच्छी बात है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए हवाई जहाज के ईंधन में 25 फीसद बायोफ्यूल का प्रयोग कराने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के लिए 50 करोड़ की ग्रांट भी मंजूर कर दी गई है। संस्थान के निदेशक डॉ. अंजन रे का कहना है कि बायोफ्यूल को बड़ा बाजार देने के लिए कई कंपनियों से बात चल रही है। छह माह के भीतर इस दिशा में करार भी कर लिया जाएगा।