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आयुर्वेद में सोने की सही करवट का महत्व, जानिए दाएं या बाएं करवट सोने के फायदे-नुकसान

नई दिल्ली। स्वस्थ जीवन के लिए अच्छी नींद बेहद जरूरी मानी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, रोजाना 7–8 घंटे की गहरी नींद शरीर और मन दोनों को स्वस्थ रखती है। लेकिन केवल नींद की अवधि ही नहीं, बल्कि सोने की सही पोजीशन भी स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती है। आयुर्वेद में सोने की दिशा और करवट को विशेष महत्व दिया गया है।

आयुर्वेद के अनुसार, सोते समय सिर को पूर्व या दक्षिण दिशा में और पैरों को उत्तर या पश्चिम दिशा में रखना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि दाईं या बाईं करवट सोने से शरीर पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं।

आयुर्वेद में सामान्य रूप से दाईं करवट सोना अच्छा माना गया है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि जब नींद खुले तो बाईं करवट सोने की कोशिश करनी चाहिए। इससे रीढ़ की हड्डी को सही सपोर्ट मिलता है और शरीर संतुलित रहता है। सही तकिया और आरामदायक गद्दे का इस्तेमाल भी नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

कुछ खास परिस्थितियों में बाईं करवट सोना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है, जैसे—गर्भावस्था, सीने में जलन, कंधे में दर्द और कुछ हृदय संबंधी समस्याएं।

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को बाईं करवट सोने की सलाह दी जाती है। इससे गर्भ में पल रहे शिशु तक रक्त और पोषक तत्वों का प्रवाह बेहतर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रेगनेंसी की दूसरी और तीसरी तिमाही में पीठ के बल सोने से बचना चाहिए, जबकि कभी-कभार दाईं करवट सोना नुकसानदायक नहीं होता।

जिन लोगों को एसिड रिफ्लक्स या सीने में जलन की शिकायत रहती है, उन्हें सिरहाने को थोड़ा ऊंचा रखकर सोने की सलाह दी जाती है। कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि बाईं करवट सोने से एसिड रिफ्लक्स के लक्षण कम हो सकते हैं, जिससे पेट और सीने को राहत मिलती है।

हृदय रोग से पीड़ित या हार्ट अटैक का इतिहास रखने वाले कुछ लोगों को बाईं ओर लेटने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है। ऐसे मामलों में दाईं करवट सोना अधिक आरामदायक माना जाता है। हार्ट के मरीजों को अपनी स्थिति के अनुसार सोने की पोजीशन अपनाने की सलाह दी जाती है।

आयुर्वेद के अनुसार, सोने की सही करवट न केवल नींद की गुणवत्ता सुधारती है, बल्कि शरीर को कई बीमारियों से भी बचाने में मदद करती है। हालांकि हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी विशेष समस्या में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।

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