उत्तराखण्ड के रामनगर स्थित नत्थावली खत्ते में वन ग्रामवासियों ने आज 25 मई को बैठक कर अर्जुननाला व बन्नाखेड़ा क्षेत्र में वन गूजरों के घरों के बाहर जेसीबी से खाई खोदे जाने को माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन बताया है। बैठक में वन गूजर ट्राइबल संगठन के नेता मीर हमजा ने कहा कि वन गूजर सदियों से जंगलों में रहकर अपना जीवन यापन करते आ रहे हैं। वन गूजरों ने भारत की संसद द्वारा बनाए गए वनाधिकार कानून 2006 के तहत निजी एवं सामुदायिक दावे समाज कल्याण विभाग के समक्ष प्रस्तुत किए हुए हैं। वर्ष 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने वनाश्रित समाज के उन लोगों को जंगलों से बेदखल करने पर रोक लगाई हुई है, जिन्होंने वनाधिकार कानून के तहत समाज कल्याण विभाग के समक्ष दावे प्रस्तुत किए हुए हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले की सूचना लिखित रूप में मुख्य सचिव उत्तराखंड को दे दी गई है। के बावजूद भी बना अधिकारी माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं।
मोहम्मद साहब ने कहा कि इस मामले को लेकर वन अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला दायर किया जा रहा है। मुनीष कुमार ने सरकार से तत्काल इस अतिक्रमण विरोधी अभियान पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि यह अभियान उत्तराखंड के लिए एक त्रासदी बन रहा है। इससे 10 लाख से भी अधिक लोग बेघर होकर सड़क पर आ जाएंगे। जनता द्वारा चुनी हुई सरकार से यह उम्मीद नहीं की जा सकती है कि वह देश के नागरिकों को रातोंरात बेघर कर दे। उन्होंने उत्तराखंड की जनता से आह्वान किया कि वह बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरकर सरकार के इस बेघर करने के अभियान के खिलाफ सड़कों पर आकर प्रतिरोध करें तथा एक भी घर ना टूटने दे। बैठक का संचालन वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के गोपाल लोधियाल ने किया। बैठक को मोहम्मद इसहाक, मौ.साद, मौ. शफी, गामा गूजर, महेश जोशी, सरस्वती, कौशल्या आदि ने भी जनता से एकजुट होकर संघर्ष करने का आह्वान किया।