नई दिल्ली।
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को ब्लड शुगर बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। यह स्थिति न सिर्फ मां, बल्कि बच्चे के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। डॉक्टरों के मुताबिक, गर्भावस्था में कुछ महिलाओं का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता, जिससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। ऐसे में सांस लेने में तकलीफ़, थकान, धुंधली नज़र, बार-बार प्यास लगना और पेशाब आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो बच्चे का वजन सामान्य से अधिक हो सकता है, समय से पहले डिलीवरी या अन्य स्वास्थ्य जटिलताएँ पैदा हो सकती हैं। हालांकि, सही डाइट, नियमित व्यायाम और ब्लड शुगर की निगरानी से इस समस्या को कंट्रोल किया जा सकता है।
डॉक्टरों का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को अपने भोजन में रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट की जगह कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट जैसे साबुत अनाज, ब्राउन राइस और होल ग्रेन रोटी शामिल करनी चाहिए। ये धीरे-धीरे पचते हैं और ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ने से रोकते हैं।
साथ ही, लीन प्रोटीन जैसे चिकन, मछली, दाल, टोफू और फलिया खाने की सलाह दी जाती है। खाने में हेल्दी फैट — जैसे एवोकाडो, नट्स, बीज और जैतून का तेल — को शामिल करना भी फायदेमंद होता है।
महिलाओं को दिनभर में छोटे-छोटे मील कई बार लेने चाहिए और एक बार में ज्यादा खाना खाने से बचना चाहिए। मीठी चीज़ें, सोडा, जूस और मिठाई से दूरी बनाना भी जरूरी है। इसके बजाय पानी, बिना चीनी वाली चाय या कम फैट वाला दूध लेना बेहतर है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि रोजाना कुछ न कुछ फिजिकल एक्टिविटी करना जेस्टेशनल डायबिटीज को कंट्रोल करने का सबसे अच्छा तरीका है। हल्की वॉक, योग या डॉक्टर की सलाह से किया गया कोई भी सुरक्षित व्यायाम ब्लड शुगर कम करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद करता है।
डॉक्टर सलाह देते हैं कि गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से ब्लड शुगर टेस्ट करवाना चाहिए ताकि समय रहते स्थिति पर नियंत्रण रखा जा सके। साथ ही बच्चे की ग्रोथ और स्वास्थ्य की निगरानी भी लगातार की जानी चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान ब्लड शुगर बढ़ना एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या है। सही खानपान, जीवनशैली और समय पर जांच से इसे आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। मां का स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो बच्चा भी स्वस्थ पैदा होगा।

