उत्तराखंड में ऋषिकेश स्थित रामझूला पुल भी प्रदेश के 36 असुरक्षित पुलों में शुमार है। चार वर्ष पहले इसकी मरम्मत की आवश्यकता बताई गई थी। तब लोनिवि ने शासन से इसके लिए बजट भी मांगा था। मगर शासन ने बजट की फाइल ठंडे बस्ते में डाली तो लोनिवि भी चुप्पी साधकर बैठ गया। अब कोटद्वार में मालन नदी पर बना पुल टूटने के बाद जर्जर पुलों पर बहस छिड़ी, तब जाकर लोनिवि को राम झूला पुल की सुध आई। अब फिर से इसकी मरम्मत के लिए शासन को बजट का प्रस्ताव भेजा गया है।
ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना झूला पुल टिहरी और पौड़ी में आवाजाही के लिहाज से महत्वपूर्ण है। टिहरी के मुनिकीरेती और पौड़ी के स्वर्गाश्रम क्षेत्र को जोड़ने वाला राम झूला पुल वर्ष 1986 में बनकर तैयार हुआ था। वर्ष 2019 में लोक निर्माण विभाग ने शासन के आदेश पर राम झूला और लक्ष्मण झूला पुल का सर्वे कराया। इसमें लक्ष्मण झूला पुल को आयु सीमा पूर्ण होने के कारण बंद करने और राम झूला पुल के सुदृढ़ीकरण का सुझाव दिया गया। लोनिवि ने राम झूला पुल की मरम्मत के लिए शासन से 23 लाख रुपये मांगे, जो अब तक नहीं मिल पाए हैं।
क्षमता से दोगुना भार वर्ष
1929 में बने लक्ष्मण झूला सेतु 12 जुलाई, 2019 को बंद किए जाने से राम झूला पुल पर दबाव बेतहाशा बढ़ गया। हालांकि, 21 नवंबर, 2020 को जानकी पुल पर आवागमन शुरू होने से इसमें काफी हद तक कमी आई। इसके बावजूद कांवड़ यात्रा, पर्यटन काल व अन्य आयोजनों के दौरान राम झूला पुल पर भारी दबाव रहता है। 200 किग्रा प्रति स्क्वायर मीटर भार क्षमता वाला यह पुल इन दिनों इससे दोगुना दबाव झेलने को मजबूर है। जो बताता है कि समय रहते मरम्मत नहीं होने पर यहां कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। भीड़ के दबाव में कई बार पुल की सस्पैंडर वायर टूट चुकी है। गनीमत रही कि इन घटनाओं में कोई हादसा नहीं हुआ।
कई बार टूट चुकी सस्पैंडर वायर
भीड़ के दबाव में कई बार पुल की सस्पैंडर वायर टूट चुकी है। गनीमत रही कि इन घटनाओं में कोई हादसा नहीं हुआ। झूला पुल में आवागमन से किसी एक स्थान पर जो कंपन पैदा होता है, वह पुल के लिए खतरा पैदा कर देता है। इसलिए पुल में हर दो मीटर पर सस्पैंडर वायर लगाई जाती है, जो पुल के डेक और आधार वायर के बीच जुड़ी होती है। सस्पैंडर वायर कंपन को समान रूप से पूरे पुल में वितरित कर देती है। 230 मीटर लंबे सिंगल लेन रामझूला पुल पर 440 सस्पैंडर वायर हैं।
अधिकारियों ने कही ये बात
टिहरी जिले में बने 236 पुल में से पांच आवाजाही के लिए असुरक्षित पाए गए हैं। इनमें रामझूला पुल भी है। पांचों पुल की मरम्मत के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। मानसून के बाद बजरंग सेतु का काम भी तेजी से पूरा किया जाएगा। – एनपी सिंह, अधीक्षण अभियंता, लोनिवि, टिहरी