नई दिल्ली, 10 अक्टूबर 2025 –
वैश्विक बाजारों में जारी अस्थिरता और सुरक्षित निवेश की मांग में तेजी के चलते चांदी की कीमतों में जबरदस्त उछाल दर्ज किया गया है। शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में चांदी का भाव ₹8,500 प्रति किलोग्राम की छलांग लगाकर ₹1,71,500 के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी बढ़त में से एक मानी जा रही है।
ऑल इंडिया सर्राफा एसोसिएशन के मुताबिक, गुरुवार को चांदी ₹1,63,000/किग्रा पर बंद हुई थी। तीन कारोबारी सत्रों में चांदी की कीमतों में ₹17,500 प्रति किलोग्राम की भारी तेजी देखी गई है।
जहां चांदी ने निवेशकों को चौंका दिया, वहीं सोने की कीमतों में हल्की गिरावट देखने को मिली। 99.9% और 99.5% शुद्धता वाले सोने की कीमतें क्रमशः ₹600 प्रति 10 ग्राम घटकर ₹1,26,000 और ₹1,25,400 पर बंद हुईं। गौरतलब है कि गुरुवार को दोनों कैटेगरी के सोने ने रिकॉर्ड स्तर (₹1,26,600 और ₹1,26,000) छुए थे।
बाजार विश्लेषकों ने धातुओं में आई इस तेज़ी के पीछे कई वैश्विक कारकों को जिम्मेदार ठहराया है:
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार के अनुसार, अमेरिकी डॉलर की कमजोर स्थिति और निवेशकों में जोखिम से बचाव की प्रवृत्ति ने सोने-चांदी को बल दिया है।
फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में संभावित कटौती के संकेत से ट्रेजरी यील्ड्स गिरीं और डॉलर कमजोर हुआ, जिससे बुलियन की मांग बढ़ी।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विश्लेषक मणव मोदी ने कहा कि चांदी में तीव्र बैकवर्डेशन देखा जा रहा है – यह आपूर्ति संकट और औद्योगिक मांग के असंतुलन का संकेत है।
उन्होंने आगे कहा,
“घरेलू फिजिकल मार्केट में चांदी पर प्रीमियम बढ़ गया है, जिससे बाजार में अस्थिरता और ETF व फ्यूचर्स की कीमतों में अंतर भी दिखाई दे रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चांदी की कीमतों में वृद्धि देखने को मिली है:
- स्पॉट सिल्वर की कीमत 1.52% बढ़कर $50.01 प्रति औंस हो गई।
- गुरुवार को यह पहली बार $51 प्रति औंस का स्तर पार कर चुकी थी।
FOMC मिनट्स में दर कटौती की संभावना और अमेरिका में संभावित सरकारी शटडाउन ने निवेशकों को सुरक्षित परिसंपत्तियों की ओर आकर्षित किया है।
यूएस-आधारित सिल्वर इंस्टीट्यूट के अनुसार, वर्ष 2025 में चांदी का आपूर्ति घाटा लगातार पांचवे वर्ष भी जारी रहने की संभावना है, जिससे संरचनात्मक तंगी और अधिक गहराने की आशंका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि चांदी की मौजूदा तेजी कोई अस्थायी झटका नहीं, बल्कि दीर्घकालिक रुझान का संकेत हो सकती है।
- फेड की दर कटौती संभावनाएं,
- अमेरिका में राजकोषीय अनिश्चितता,
- और वैश्विक आपूर्ति संकट,
— ये सभी कारक चांदी की कीमतों को आगे भी ऊंचा बनाए रख सकते हैं।
अगर आप चांदी या अन्य कीमती धातुओं में निवेश की योजना बना रहे हैं, तो आने वाले हफ्ते संभावनाओं और जोखिमों से भरे रह सकते हैं। इस समय बाजार की चाल को समझदारी से पढ़ना, छोटे निवेशकों और ट्रेडर्स दोनों के लिए जरूरी होगा।