शुक्रवार को तीसरे चरण के मतदान की अधिसूचना जारी होने के साथ ही घाटी में चुनावी गतिविधियां तेज हो गई हैं। जम्मू प्रांत के विपरीत घाटी में चुनावी दंगल बहुत ज्यादा रोचक रहेगा,क्योंकि किसी भी सीट पर मुकाबला इकतरफा नहीं रहेगा बल्कि त्रिकोणीय या बहुकोणीय ही रहेगा और क्षेत्रीय दलों के बीच ही प्रतिस्पर्धा रहेगी।
जम्मू कश्मीर में पांच संसदीय क्षेत्र
इन सीटों पर पुराने सहयोगी भी एक दूसरे के खिलाफ लड़ते हुए नजर आएंगे या फिर अपने साझा विरोधी को हराने के लिए कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं परोक्ष समर्थन करेंगे। कांग्रेस इन तीनों सीटों पर चुनाव नहीं लड़ रही है जम्मू कश्मीर में पांच संसदीय क्षेत्र हैं। इनमें से दो जम्मू-रियासी व उधमपुर-डोडा-कठुआ संसदीय क्षेत्र जम्मू प्रांत में हैं।
अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र जम्मू व कश्मीर दोनों प्रांतों में फैला हुआ है जबकि श्रीनगर और बारामुला संसदीय क्षेत्र पूरी तरह से कश्मीर घाटी में ही सीमित हैं। अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्र को भी आम बोलचाल में कश्मीर की सीट कहा जा रहा है,क्योंकि इसके अंतर्गत 18 में से 11 विधानसभा क्षेत्र कश्मीर घाटी में हैं।
उधमपुर-कठुआ संसदीय सीट पर 12 और जम्मू रियासी सीट पर 23 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। इन दोनों सीटों पर मुकाबला पूरी तरह से कांग्रेस और भाजपा में सिमट चुका है। उधमपुर-कठुआ संसदीय सीट पर भाजपा के डा जितेंद्र सिंह को कांग्रे के चौ लाल सिंह व जम्मू रियासी सीट पर भाजपा के जुगल किशोर शर्मा को कांग्रेस के रमन भल्ला से टक्कर मिल रही है।
किसी सीट पर नेकां-पीडीपी तो किसी सीट पर नेकां-पीपुल्स कान्फ्रेंस की मुख्य लड़ाई
पलड़ा किसका भारी है,इसकी बहस में जाने की जरुरत नहीं है। इसके विपरीत अन्य तीन सीटों के लिए जहां अभी किसी भी प्रत्याशी ने नामांकन जमा नहीं कराया है, त्रिकोणीय और बहुकोणीय संघर्ष होगा,जहां किसी सीट पर नेकां-पीडीपी तो किसी सीट पर नेकां-पीपुल्स कान्फ्रेंस की मुख्य लड़ाई होगी। श्रीनगर की तीनों सीटें पीडीपी, नेकां, पीपुल्स कान्फ्रेंस, जम्मू कयमीर अपनी पार्टी और भाजपा के लिए विभिन्न कारणों से अहम हैं।
तीसरे चरण में अनंतनाग-राजौरी संसदीय सीट पर चुनाव होना है,जहां से नेशनल कान्फ्रेंस के मियां अल्ताफ अहमद लारवी, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के जफर इकबाल मनहास और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के चेयरमैन व पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने चुनाव लड़ने का एलान किया है।
भाजपा भी इस सीट पर चुनाव लड़ने के मूड में है और उसने अभी अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। अगर वह अपना उम्मीदवार मैदान में नहीं उतारती है और किसी निर्दलीय या फिर आजाद व जफर इकबाल मन्हास में से किसी को समर्थन देती है तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा,जिसमें मुख्य लड़ाई नेकां-पीडीपी की रहेगी।
भाजपा ने अभी इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया
श्रीनगर संसदीय सीट पर नेकां के आगा सैयद रुहुल्ला और पीडीपी के वहीद उर रहमान पारा के अलावा जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के मोहम्मद अशरफ मीर चुनाव लड़ रहे हैं। पीपुल्स कान्फ्रेंस , डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी और भाजपा ने अभी इस सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
पीपुल्स कान्फ्रेंस के अलावा गुलाम नबी आजाद इस सीट पर जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी को समर्थन दे सकते हैं। अगर ऐसा करेंगे तो वह नेकां-पीडीपी की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाएंगे। उत्तरी कश्मीर की बारामुला-कुपवाड़ा ससंदीय सीट पर पीडीपी के फेयाज अहमद मीर, अवामी इत्तेहाद पार्टी के चेयरमैन इंजीनियर रशीद, पीपुल्स कान्फ्रेस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन के अलावा नेकां के उमर अब्दुल्ला का चुनाव लड़ना तय है।
जम्मू और कश्मीर दोनों ही प्रांतों की भौगोलिक-राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियां अलग
कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि जम्मू और कश्मीर दोनों ही प्रांतों की भौगोलिक-राजनीतिक व सामाजिक परिस्थितियां अलग हैं। कश्मीर में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव जम्मू प्रांत की अपेक्षा ज्यादा है।इसलिए यहां आपको बहुकोणीय मुकाबले के साथ साथ क्षेत्रीय दलों में ही चुनावी दंगत नजर आएगा।