अमरेली (गुजरात)।
कभी किसी फिल्म की कहानी लगने वाला वाकया अब हकीकत बन गया है। अमरेली जिले के सावरकुंडला तहसील के जीरा गांव में एक उद्योगपति ने ऐसा काम किया जिससे पूरा गांव भावुक हो उठा। गांव के उद्योगपति बाबूभाई जीरावाला ने अपनी मां की पुण्यतिथि पर गांव के 290 किसानों का 30 साल पुराना कर्ज चुका दिया।
बाबूभाई ने 90 लाख रुपये की राशि बैंक में जमा कर किसानों को कर्जमुक्त कर दिया। जब बैंक ने किसानों को ‘नो ड्यूज सर्टिफिकेट’ दिए, तो कई किसानों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।
उन्होंने बताया कि 1995 से गांव की जीरा सेवा सहकारी मंडली से जुड़े एक विवाद के चलते किसानों पर फर्जी ऋण दर्ज थे। इस कारण किसान सरकार की योजनाओं और ऋण सुविधाओं से वंचित हो गए थे। यहां तक कि कर्ज के कारण जमीनों का बंटवारा भी नहीं हो पा रहा था।
बाबूभाई ने कहा कि उनकी मां की इच्छा थी कि अपने गहने बेचकर गांव के किसानों का कर्ज उतारा जाए। जब जांच की गई तो पता चला कि किसानों पर कुल ₹89,89,209 का कर्ज था। उन्होंने बैंक से बात कर यह पूरी रकम जमा कर दी और सभी किसानों को ‘नो कर्ज सर्टिफिकेट’ दिलवाए।
बाबूभाई जीरावाला ने कहा, “हमें खुशी है कि हमने मां की आखिरी इच्छा पूरी की। यह हमारे लिए सच्ची श्रद्धांजलि है।”
गांव के लोगों के लिए यह दिन किसी त्योहार से कम नहीं रहा — जब दशकों से चले आ रहे कर्ज का बोझ उतर गया और गांव सचमुच कर्जमुक्त हो गया।

