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नेपाल में सत्ता परिवर्तन के बीच भारत सतर्क, व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों पर नजर

नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों ने पूरे दक्षिण एशिया में हलचल पैदा कर दी है। देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। यह फैसला तब लिया गया जब राजधानी काठमांडू में राजनीतिक अस्थिरता के बीच विरोध-प्रदर्शन और सार्वजनिक असंतोष का दौर चल रहा था।

भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह नेपाल की स्थिति पर “करीबी नजर” बनाए हुए है। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल व्यापार या कूटनीतिक रिश्तों पर कोई सीधा असर नहीं पड़ा है, लेकिन यदि स्थिति बिगड़ती है, तो असर पड़ सकता है।

नेपाल और भारत के बीच केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध भी बेहद गहरे हैं। दोनों देशों की खुली सीमा और रोटी-बेटी के रिश्ते इन्हें खास बनाते हैं। नेपाल की करीब 35 लाख आबादी भारत में काम करती है। इसके अलावा, 32,000 से अधिक गोरखा सैनिक भारतीय सेना का हिस्सा हैं।

1950 की भारत-नेपाल संधि के तहत नेपाली नागरिक बिना वीजा भारत में रह सकते हैं, पढ़ सकते हैं और काम कर सकते हैं। यह भारत की दक्षिण एशिया नीति का एक मजबूत स्तंभ है।

नेपाल की जरूरतों का बड़ा हिस्सा भारत से पूरा होता है, खासकर तेल, गैस, बिजली, खाद्य सामग्री, मशीनरी और दवाइयों की आपूर्ति में। वित्त वर्ष 2024 में भारत ने नेपाल को 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा का सामान भेजा, जबकि नेपाल से 0.831 बिलियन डॉलर का आयात किया गया।

नेपाल की अर्थव्यवस्था कृषि और पर्यटन पर निर्भर है, जबकि भारत की एफएमसीजी कंपनियों, जैसे ITC, डाबर, यूनिलीवर, देवयानी इंटरनेशनल और ब्रिटानिया ने वहां बड़े निवेश कर रखे हैं। नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता यदि और गहराती है, तो इसका सीधा असर लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट पर पड़ेगा। नेपाल एक भूमिबद्ध (landlocked) देश है और इसके पास कोई समुद्री बंदरगाह नहीं है। भारत के रक्सौल, सोनौली, जोगबनी और नेपालगंज जैसे सीमावर्ती शहरों से होकर सड़क मार्ग से ही अधिकतर सामान नेपाल पहुंचता है।

हालिया प्रदर्शन अभी तक राजधानी तक ही सीमित हैं, लेकिन अगर अशांति फैली, तो बॉर्डर पॉइंट्स पर सप्लाई चेन बाधित हो सकती है, जिससे दवाइयों, खाद्य सामग्री और जरूरी इंडस्ट्रियल सप्लाई में देरी हो सकती है।

भारत के वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स को सतर्क किया गया है, ताकि व्यापार में किसी रुकावट का तत्काल आकलन और समाधान किया जा सके।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “भारत-नेपाल व्यापार साझेदारी दशकों पुरानी है, इसे सुचारू बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है।”

हर साल लाखों लोग भारत और नेपाल के बीच आवाजाही करते हैं। 2024 में 3 लाख से ज्यादा भारतीयों ने नेपाल की यात्रा की, जबकि 2 लाख से अधिक नेपाली भारत आए। दोनों देशों के बीच रोज़ाना 10 फ्लाइट्स संचालित होती हैं, जिससे पर्यटन और पारिवारिक संबंधों को बल मिलता है।

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