साहिया देहरादून जिले में कालसी क्षेत्र के खमरौली गांव में भूधंसाव के चलते 25 भवनों में दरार आ गई है। इसके कारण स्थानीय निवासी दहशत में हैं। उन्हें डर है कि अगर जल्द ही समस्या के समाधान के लिए कोई उपाय नहीं किया गया तो उनके हालात भी जोशीमठ की तरह हो जाएंगे। साथ ही उन्हें अपने घर और खेती छोड़कर दर-दर की ठोकर खानी पड़ेगी।
खमरौली गांव में बढ़ता जा रहा भूधंवास
वर्षाकाल के दौरान दरारें बढ़ने से ग्रामीणों की चिंता और भी बढ़ गई है। उन्होंने तंत्र से मदद की गुहार लगाई है। कालसी तहसील के बमटाड़ खत के खमरौली गांव में भूधंसाव बढ़ता जा रहा है। मकानों के बीचोंबीच से जमीन खिसकने से दरारें चौड़ी होती जा रही हैं। इसके चलते 25 भवन खतरे की जद में हैं। 50 परिवार की आबादी वाले खमरौली गांव में कमरों से लेकर आंगन तक ये दरारें नजर आ रही हैं।
गांव में पड़ने लगीं दरारें
ग्रामीणों के अनुसार, वर्ष 2007 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत पजिटीलानी से चिबोऊ खमरौली तक सड़क निर्माण किया गया। इस दौरान जेसीबी मशीन से पहाड़ की कटिंग की गई। इसके बाद से ही खमरौली गांव में दरारें पड़नी शुरू हो गई।
ग्रामीण इसे देखकर दहशत में आ गए और तहसील प्रशासन से शिकायत की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। वर्ष 2013 में गांव में भूधंसाव होने लगा और मकान और आंगन की सुरक्षा दीवार में दरार बढ़ने लगी। इसके बाद तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने सुरक्षात्मक कार्य के निर्देश दिए, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
खतरों की जद में 25 मकान
पिछले माह 19 जुलाई की रात हुई भारी वर्षा के बाद से 25 मकानों के नीचे लगातार भूधंसाव के कारण उनके धराशायी होने का खतरा बना हुआ है। यहां तक कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय और पंचायत घर का भवन भी भूधंसाव की जद में आ गया है। अब वर्षा होते ही ये दरारें चौड़ी होती जा रही हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत बनी हुई है।
पीएमजीएसवाई कालसी प्रभारी अधिशासी अभियंता सुनील कुमार के अनुसार, जिन क्षेत्रों में पहाड़ कच्चे होते हैं, वहां कटाव के बाद अधिकतर भूधंसाव हो जाता है। हालांकि सड़क की कटिंग लोक निर्माण विभाग ने की थी। कटिंग के बाद सड़क का काम पीएमजीएसवाई को हैंडओवर किया गया था। खमरौली गांव में मौके पर जाकर निरीक्षण के बाद सुरक्षात्मक कार्य कराए जाएंगे।