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देहरादून से सिर्फ 86 किमी दूर, झरने, बुग्याल और गुफाओं का शहर..आप भी चले आइए

मैदानी क्षेत्रों में बढ़ती गर्मी से परेशान पर्यटक ठंडी हवाओं का आनंद लेने पहाड़ों का रुख कर रहे हैं।

 

उत्तराखंड हिल स्टेशन चकराता जौनसार भाबर रोड ट्रिप

ऐसे में देहरादून से महज 86 किमी दूर स्थित यह हिल स्‍टेशन आपको प्रकृति से सीधा जोड़ देगा। यहां पर अनेक झरने, बुग्याल, प्राकृतिक गुफाएं, शांत वातावरण पर्यटक को अपनी और आकर्षित करते हैं। हम बात कर रहे हैं जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के चकराता क्षेत्र की। यहां पर ऋषिकेश और मसूरी जितनी भीड़ नहीं है। वहीं चकराता में बहुत से पर्यटन स्थल हैं जहां खूब पर्यटकों का जमावड़ा देखने को मिल रहा है। वहीं इस जगह की सबसे खासबात यह है कि यह अंग्रेजों द्वारा बसाया गया शहर था मगर आलम कुछ यूं है कि इस समय चकराता में अंग्रेजों की एंट्री पर प्रतिबंध है। जी हां, यहां पर विदेशी पर्यटकों की नो एंट्री है और केवल भारतीय , पर्यटक ही यहां के नैसर्गिक सुंदरता का और पर्यटक स्थलों का आनंद ले सकते हैं। आगे पढ़िए

 

नैनीताल-मसूरी के बाद पर्यटकों को चकराता खूब भा रहा है। जौनसार-बावर का प्रमुख नगर या कहें मुख्यालय चकराता, यह ब्रिटिश काल में बसाया गया महत्वपूर्ण कैंट है। चकराता उत्तराखंड के उन चंद बेहद खूबसूरत क्षेत्रों में से है, जो अपनी नैसर्गिक सुंदरता के साथ ही अपनी लोक परंपराओं और संस्कृति के कारण देश-दुनिया को अपनी ओर खींचते हैं। समुद्र तल से 2118 मीटर की ऊंचाई पर यमुना और टोंस नदी के बीच चकराता 1866 में बसाया गया था। ब्रिटिश सरकार ने 1869 में इसे कैंट बोर्ड के अधीन किया। चकराता में स्थित झील-झरने और सुंदर वादियां देश के अलग-अलग हिस्सों में रहे लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं। यही नहीं, विदेश में भी रहने वाले लोग इस गांव की यात्रा करना चाहते हैं, लेकिन वे इसकी सुंदरता को निहार नहीं पाते हैं।मगर भारतीय नागरिकों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां आप टाइगर फाल, देववन, खडंबा, मुंडाली, कोटी कनासर, मोइला टाप, बुधेर गुफा, चिंता हरण महादेव, सनराइज प्वाइंट,चिरमिरी टाप रहने को होटल, रिसार्ट व होम स्टे की सुविधा है। तो समय निकाल कर आप अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ यहां ज़रूर आएं।

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