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देहरादून में भव्य रामलीला महोत्सव का आयोजन, तृतीय दिवस ‘राज्य आंदोलनकारी सम्मान दिवस’ के रूप में मनाया गया

उत्तराखंड की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने के संकल्प के साथ “श्री रामकृष्ण लीला समिति टिहरी 1952, देहरादून” द्वारा आयोजित भव्य रामलीला महोत्सव 2025 के तीसरे दिन को “राज्य आंदोलनकारी सम्मान दिवस” के रूप में मनाया गया। यह आयोजन देहरादून के श्री गुरु नानक मैदान, रेसकोर्स में चल रहा है, जो 22 सितंबर से शुरू होकर 3 अक्टूबर तक चलेगा।

समिति के अध्यक्ष अभिनव थापर ने बताया कि टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड राज्य आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। 1994 के आंदोलन में समाज के सभी वर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और राज्य निर्माण के संघर्ष में योगदान दिया। उन्हीं वीर आंदोलनकारियों को समर्पित करते हुए आज के मंचन से पूर्व शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई।

रामलीला मंचन में आज के प्रमुख प्रसंग

  • तृतीय दिवस की रामलीला में “सीता स्वयंवर”, “धनुष भंग” और “परशुराम-लक्ष्मण संवाद” जैसे प्रमुख प्रसंगों का आकर्षक मंचन किया गया।
  • राम-सीता विवाह के दृश्य में मंच और दर्शकों पर पुष्पवर्षा ने माहौल को भावुक और भव्य बना दिया।
  • सीता स्वयंवर में विभिन्न राजाओं की हास्य अभिनय प्रस्तुतियों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
  • वहीं, परशुराम और लक्ष्मण संवाद में कलाकारों ने पौराणिक चौपाइयों और गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

Laser & Sound Show के माध्यम से आरती और धार्मिक भावनाओं का जीवंत प्रदर्शन हुआ।

आज के कार्यक्रम में मेयर सौरभ थपलियाल, राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, प्रवक्ता प्रदीप कुकरेती, महामंत्री रामलाल खंडूरी, अमित ओबेरॉय, तथा रामलीला समिति से अमित पंत, गिरीश पैन्यूली, दुर्गा भट्ट, अजय पैन्यूली, डॉ. नितिन डंगवाल, नीता बहुगुणा, शशि पैन्यूली सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

श्री रामकृष्ण लीला समिति ने बताया कि टिहरी के जलमग्न होने के बाद 1952 से चली आ रही ऐतिहासिक रामलीला परंपरा को देहरादून में पुनर्जीवित करने का यह प्रयास है।
2024 में आयोजित रामलीला महोत्सव को 55 लाख से अधिक दर्शकों ने विभिन्न माध्यमों से देखा था, और इस वर्ष यह संख्या 75 लाख तक पहुँचने की संभावना है, क्योंकि पहली बार Digital Live Telecast System के माध्यम से इसका सीधा प्रसारण किया जा रहा है।

रामलीला के साथ-साथ इस महोत्सव में उत्तराखंड की लोक कला, भजन संध्या, और पारंपरिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, इस वर्ष भव्य कलश यात्रा, मेला, और 2 अक्टूबर को रावण, मेघनाथ, कुंभकरण के पुतला दहन का आयोजन भी विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।

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