देहरादून | 1 नवंबर 2025
उत्तराखंड की राज्य स्थापना की रजत जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित समारोह का शुभारंभ करते हुए ‘बिल लाओ, ईनाम पाओ’ योजना के अंतर्गत मेगा लकी ड्रॉ निकाला।
राज्य कर विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में कुल 1888 विजेताओं का चयन किया गया।
नैनीताल की सोनिया और टिहरी के जसपाल रावत प्रथम विजेता बने, जिन्हें एक-एक इलेक्ट्रिक कार प्रदान की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दोनों विजेताओं से फोन पर बात कर शुभकामनाएँ दीं और कहा कि यह योजना राज्य में राजस्व पारदर्शिता और उपभोक्ता जागरूकता का प्रतीक बन चुकी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि वर्ष 2022 में शुरू हुई यह योजना राज्य के राजस्व संग्रहण में नई चेतना और ऊर्जा लेकर आई है।
अब तक लोगों द्वारा 6.5 लाख बिल अपलोड किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से ₹263 करोड़ का लेनदेन दर्ज किया गया।
उन्होंने कहा —
“इस नवाचार ने जनता को कर प्रणाली से जोड़ा है। इससे व्यापारी वर्ग में कर अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा मिला है और राजस्व वृद्धि के साथ पारदर्शिता आई है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य में “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” और “वार्षिक व्यापार सुधार कार्य योजना” के माध्यम से निवेश और उद्यमिता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
राज्य सरकार व्यापार तंत्र को कुशल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार-मुक्त बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।
धामी ने कहा कि राज्य में वित्तीय प्रबंधन, संसाधनों के मितव्ययी उपयोग और डिजिटल नवाचारों को प्राथमिकता दी जा रही है।
उन्होंने जनता से अपील की —
“हर खरीदारी पर बिल मांगें, लेनदेन को पारदर्शी बनाएं और उत्तराखंड के विकास में सक्रिय भागीदारी निभाएं।”
राज्य कर विभाग के इस कार्यक्रम में विजेताओं को विभिन्न पुरस्कार दिए गए —
- 🏎️ 2 विजेता – इलेक्ट्रिक कार
- 🚗 16 विजेता – कार
- 🛵 20 विजेता – ई-स्कूटर
- 🏍️ 50 विजेता – मोटरसाइकिल
- 💻 100 विजेता – लैपटॉप
- 📺 200 विजेता – स्मार्ट टीवी
- 📱 500 विजेता – टैबलेट
- 🍳 1000 विजेता – माइक्रोवेव एवं अन्य उपहार
- 👥 कार्यक्रम में शामिल रहे अधिकारी और अतिथि
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सचिव वित्त दिलीप जावलकर,
राज्य कर आयुक्त सोनिका, अपर सचिव नवनीत पांडेय, अपर सचिव मनमोहन मैनाली,
तथा व्यापार समुदाय और टैक्स बार एसोसिएशन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
‘बिल लाओ, ईनाम पाओ’ योजना अब उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों के लिए साझी जिम्मेदारी और विश्वास का प्रतीक बन चुकी है।
यह पहल न केवल राजस्व बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि ईमानदार कर संस्कृति और जवाबदेही की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।

