भारत के भूकंप जोखिम को लेकर देश के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने अब तक का सबसे बड़ा अपडेट जारी किया है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) ने अपने नए Earthquake Design Code – IS 1893 (Part 1): 2025 का अनावरण किया है, जिसके साथ देश का पूरा Seismic Map बदल गया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पूरी हिमालयी पर्वत श्रृंखला को अब सबसे खतरनाक भूकंपीय श्रेणी—Zone VI में रखा गया है।
पहली बार भारत को 5 भूकंप जोन में बांटा गया है और इसमें Zone VI वह श्रेणी है जिसमें भूकंप का खतरा सबसे ज्यादा है। इससे पहले देश 4 जोन—II, III, IV और V में विभाजित था।
सालों से शांत दिखने वाली हिमालयी पर्वत श्रृंखला के भीतर टेक्टॉनिक प्लेटों की जबरदस्त टेंशन बनी हुई है। फॉल्ट लाइनों में जमा यह ऊर्जा विज्ञान के अनुसार किसी भी समय बड़ा झटका दे सकती है। नए कोड ने इस जोखिम को स्पष्ट रूप से सामने रखते हुए हिमालयी क्षेत्र को बेहद संवेदनशील घोषित किया है।
BIS के मुताबिक, निम्नलिखित राज्य और जिले अब भूकंप के सबसे अधिक खतरे वाले Zone VI में आएंगे:
जम्मू-कश्मीर
- पूरा केंद्रशासित प्रदेश
हिमाचल प्रदेश
- शिमला
- धर्मशाला
- कुल्लू-मनाली
- कांगड़ा
उत्तराखंड
- देहरादून
- हरिद्वार
- ऋषिकेश
- नैनीताल
- मसूरी
- अल्मोड़ा
- पिथौरागढ़
उत्तर प्रदेश
- सहारनपुर
सिक्किम
- गंगटोक
पश्चिम बंगाल
- दार्जिलिंग
अरुणाचल प्रदेश
- पूरा राज्य
- बिहार
- उत्तर बिहार का हिमालय से सटा क्षेत्र
पुरानी जोनिंग ऐतिहासिक भूकंपों और पुराने रिकॉर्ड्स पर आधारित थी, लेकिन नए कोड में विज्ञान को आधार बनाया गया है।
BIS ने इस बार Physics-Based Modeling का उपयोग किया, जिसमें फॉल्ट लाइनों की टेंशन, ऊर्जा संचय और संभावित झटकों की दिशा तथा ताकत का विश्लेषण किया गया।
इस वैज्ञानिक मॉडलिंग से पता चला कि भारत का लगभग 61% हिस्सा अब मध्यम से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में आता है।
नया कोड सिर्फ जोखिम नहीं बताता, बल्कि उससे निपटने के लिए मार्गदर्शन भी देता है:
- नए निर्माण के लिए कड़े मानक
- पुराने भवनों की मजबूती बढ़ाने की सिफारिश
- हाई-रिस्क ज़ोन में डिजाइन और इंजीनियरिंग का सख्त पालन
- सरकारी योजनाओं में भूकंप-रोधी निर्माण तकनीक अनिवार्य
जो लोग Zone VI के शहरों में रहते हैं, उन्हें घबराने की जरूरत नहीं, बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है। यह बदलाव सुरक्षा बढ़ाने के लिए किया गया है ताकि आने वाले समय में बड़े भूकंप के खतरे को कम किया जा सके।
यह कोड सरकार, नगर निकाय और इंजीनियरों को यह बताता है कि भवनों को किस स्तर तक भूकंप-रोधी बनाया जाए।
देश के लिए यह अपडेट एक महत्वपूर्ण चेतावनी है—हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का खतरा पहले से कहीं ज्यादा गंभीर है। लेकिन सही नियमों और तैयारी के साथ इसका मुकाबला किया जा सकता है।

