कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा कराए गए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद राज्य की ड्राफ्ट मतदाता सूची जारी कर दी गई है। इस सूची से कुल 58 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जिससे राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक पुनरीक्षण के बाद कुल 58 लाख 8 हजार 202 नाम मतदाता सूची से बाहर किए गए हैं। हटाए गए नामों में 24 लाख 18 हजार 699 मतदाता मृत, 19 लाख 93 हजार 87 मतदाता स्थानांतरित, 12 लाख 1 हजार 462 मतदाता लापता, जबकि 1 लाख 37 हजार 575 मतदाता दोहरे या फर्जी पाए गए हैं। इसके अलावा 57 हजार 509 मतदाताओं को अन्य श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें भी सूची से हटाया गया है।
चुनाव आयोग ने बताया कि किसी मतदाता को ‘लापता’ की श्रेणी में तब डाला जाता है, जब संबंधित बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) उसके पते पर तीन या उससे अधिक बार जाकर भी उसे नहीं ढूंढ पाता है। वहीं, कई मतदाताओं के नाम एक से अधिक स्थानों की वोटर लिस्ट में दर्ज पाए गए थे, जिनमें से एक स्थान से नाम हटाया गया है।
इस पूरे मामले को लेकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का आरोप है कि मतदाता सूची से बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने से लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह ड्राफ्ट मतदाता सूची है। यदि किसी मतदाता का नाम गलत तरीके से हटाया गया है या सूची में कोई त्रुटि है, तो वह निर्धारित समय के भीतर आयोग के पास शिकायत दर्ज करा सकता है। शिकायतों पर सुनवाई और दस्तावेजों के सत्यापन के बाद फाइनल मतदाता सूची जारी की जाएगी।
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की गई है। आयोग आज दोपहर इस संबंध में विस्तृत जानकारी भी साझा कर सकता है।

