नई दिल्ली। सोना और चांदी दोनों को लंबे समय से सुरक्षित निवेश (Safe Investment) के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जहां चांदी की औद्योगिक मांग लगातार बढ़ रही है, वहीं सोना कम अस्थिरता (Volatility) के साथ बेहतर पूंजी संरक्षण (Capital Protection) का विकल्प बना हुआ है।
पिछले एक साल में गोल्ड और सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। आंकड़ों के मुताबिक, गोल्ड फंड्स और ETFs ने औसतन 50.94% का रिटर्न दिया, जबकि सिल्वर ETFs का औसत रिटर्न 51.14% रहा है।
द वेल्थ कंपनी म्यूचुअल फंड के डिप्टी सीईओ प्रसन्ना पाठक का कहना है कि चांदी में अस्थिरता ज्यादा होती है, जबकि सोना अपेक्षाकृत स्थिर निवेश माना जाता है। उन्होंने कहा, “मौजूदा सोना-चांदी अनुपात और बढ़ती औद्योगिक मांग को देखते हुए, लॉन्ग टर्म में चांदी का प्रदर्शन मजबूत रह सकता है, लेकिन इसमें जोखिम भी ज्यादा रहेगा।”
एक अन्य मार्केट एक्सपर्ट ने कहा, “उच्च औद्योगिक मांग के दौर में चांदी का प्रदर्शन सोने से बेहतर रहता है। लेकिन पूंजी की सुरक्षा के लिहाज से सोना हमेशा भरोसेमंद माना जाता है।”
मार्केट एक्सपर्ट्स की सलाह है कि निवेशक अपने लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो का लगभग 15% हिस्सा सोने में निवेश करें। वहीं, औद्योगिक मांग के दौर में 5 से 10% निवेश चांदी में रणनीतिक रूप से किया जा सकता है।
इसके अलावा, गोल्ड ETFs की ट्रेडिंग वॉल्यूम और लिक्विडिटी सिल्वर ETFs की तुलना में ज्यादा होती है, जिससे निवेशकों के लिए इसमें एंट्री और एग्जिट आसान रहती है।
पिछले सप्ताह मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाले सोने का वायदा भाव 165 रुपये (0.14%) की गिरावट के साथ ₹1,21,067 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
एंजल वन के डीवीपी (शोध, गैर-कृषि जिंस एवं मुद्रा) प्रथमेश माल्या ने कहा कि इस दौरान सोने की कीमतें ₹1,17,000 से ₹1,22,000 प्रति 10 ग्राम के दायरे में रहीं।

