देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में उत्तराखंड का स्वास्थ्य विभाग अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रहा है। राज्य ने मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी, संस्थागत प्रसव में वृद्धि और ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार में बड़ी सफलता हासिल की है।
राज्य गठन के 25 वर्षों में उत्तराखंड ने स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने में लंबी छलांग लगाई है। वर्तमान में प्रदेश में 13 जिला चिकित्सालय, 21 उपजिला चिकित्सालय, 80 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 577 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और लगभग 2000 मातृ-शिशु कल्याण केंद्र सक्रिय हैं। हाल ही में 6 उपजिला चिकित्सालय, 6 सीएचसी और 9 पीएचसी के उन्नयन की मंजूरी दी गई है। साथ ही, देहरादून और नैनीताल में 100-100 शैय्यायुक्त मानसिक चिकित्सालयों का निर्माण तेजी से जारी है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार, राज्य में मातृ मृत्यु दर में 77 प्रतिशत की कमी आई है। मातृ मृत्यु दर 440 प्रति लाख से घटकर 91 हो गई है, जबकि शिशु मृत्यु दर 52 प्रति हजार से घटकर 20 रह गई है। संस्थागत प्रसव दर अब 83.2 प्रतिशत तक पहुँच चुकी है।
राज्य में डॉक्टरों, नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या में भी ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। वर्तमान में 2885 डॉक्टर तैनात हैं और 1918 नर्सिंग पद भरे जा चुके हैं।
इसके अलावा, प्रदेश में 1985 आयुष्मान आरोग्य केंद्र स्थापित किए गए हैं, 108 आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा सक्रिय है, और 335 प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र आम जनता को सस्ती दवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। टीबी मुक्त उत्तराखंड अभियान के तहत 2182 पंचायतों को टीबी मुक्त घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारी प्राथमिकता है ‘स्वस्थ उत्तराखंड, समृद्ध उत्तराखंड’। हेली-एम्बुलेंस सेवा, आयुष्मान आरोग्य केंद्र और स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत बनाने वाली अन्य पहलों से हम हर नागरिक तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं। आने वाले वर्षों में उत्तराखंड देश के सबसे स्वस्थ राज्यों में शामिल होगा।”
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने भी कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर गांव और हर व्यक्ति तक समयबद्ध, सस्ती और प्रभावी स्वास्थ्य सेवाएं पहुँचें।

