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ब्लैकरॉक को 500 मिलियन डॉलर के कथित फर्जीवाड़े से झटका, भारतीय मूल के कारोबारी बंकिम ब्रह्मभट्ट पर आरोप

न्यूयॉर्क / नई दिल्ली | 1 नवंबर 2025

अमेरिका की सबसे बड़ी निवेश कंपनियों में से एक ब्लैकरॉक कथित तौर पर एक विशाल वित्तीय घोटाले की चपेट में आ गई है। भारतीय मूल के कारोबारी बंकिम ब्रह्मभट्ट, जो दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉइस के सीईओ हैं, पर करीब 500 मिलियन डॉलर (लगभग ₹4,200 करोड़) के फर्जीवाड़े का आरोप लगा है।
यह खुलासा वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट में हुआ है।

ब्लैकरॉक की प्राइवेट-क्रेडिट शाखा HPS Investment Partners, जिसे इस साल की शुरुआत में ब्लैकरॉक ने खरीदा था, ने ब्रह्मभट्ट की कंपनियों को करोड़ों डॉलर का ऋण दिया था।
मुकदमे के अनुसार, इन कंपनियों ने ऋण प्राप्त करने के लिए फर्जी बिल, अनुबंध और ई-मेल तैयार किए और यह दिखाने की कोशिश की कि वे बड़ी दूरसंचार कंपनियों से भुगतान पाने वाले हैं।

ऋणदाताओं का आरोप है कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों ने “फर्जी प्राप्य खातों (fake receivables)” को जमानत के तौर पर इस्तेमाल किया, जबकि वे वास्तव में मौजूद ही नहीं थे।

2024 के मध्य में जब ऋणदाताओं ने इन खातों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू की, तो पता चला कि कई ई-मेल और दस्तावेज नकली थे।
जांच में यह भी सामने आया कि ऋण की एक बड़ी राशि भारत और मॉरीशस के विदेशी खातों में स्थानांतरित की गई थी।

ब्लैकरॉक की शाखा HPS के अधिकारियों ने जब इस पर सवाल उठाए, तो बताया गया कि ब्रह्मभट्ट ने पहले सब कुछ सामान्य बताया, लेकिन बाद में उन्होंने संपर्क बंद कर दिया।
जुलाई 2025 में जब कंपनी के प्रतिनिधि उनके न्यूयॉर्क स्थित गार्डन सिटी कार्यालय पहुंचे, तो दफ्तर बंद मिला।

ऋणदाताओं की कार्रवाई

  • HPS और अन्य ऋणदाताओं ने अगस्त में अमेरिका की अदालत में मुकदमा दायर किया है।
    उनका दावा है कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों पर अब $500 मिलियन से अधिक की बकाया राशि है।
    रिपोर्टों के अनुसार, BNP Paribas ने भी इन ऋणों को संरचित करने में मदद की थी।
    वहीं, ब्रह्मभट्ट की कंपनियों — जिनमें Broadband Telecom, Bridgevoice, और Carriox Capital II शामिल हैं — ने हाल ही में Chapter 11 दिवालियापन संरक्षण (bankruptcy protection) के लिए आवेदन किया है।

बंकिम ब्रह्मभट्ट ने अब तक सार्वजनिक रूप से किसी भी गलत काम से इनकार किया है।
उनका कहना है कि उनकी कंपनियों के वित्तीय दस्तावेज वैध हैं और वे “कानूनी प्रक्रिया में सहयोग” कर रहे हैं।
हालांकि, वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, फिलहाल उनकी लोकेशन स्पष्ट नहीं है और माना जा रहा है कि वे भारत में हैं।

यह मामला इसलिए चर्चा में है क्योंकि यह दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक से जुड़ा है, जो प्राइवेट क्रेडिट (Private Credit) क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना प्राइवेट क्रेडिट बाजार में पारदर्शिता और निगरानी की कमी को उजागर करती है।

वित्तीय विश्लेषक कहते हैं कि “यह मामला निवेशकों के लिए चेतावनी है कि ऋण देने से पहले उचित जांच-पड़ताल (due diligence) कितनी जरूरी है।”

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