चार धाम यात्रा में दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने और यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत सरकार ने 10 वर्ष से अधिक पुरानी बसों के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा चार धाम यात्रा में संचालित होने वाली बसों पर 177 व्हीलबेस का नियम भी लागू नहीं होगा।
सरकार ने डेढ़ माह पूर्व ही पर्वतीय मार्गों पर अधिकतम 166 व्हीलबेस को बढ़ाकर 177 कर दिया था। इसके बाद पर्वतीय मार्गों पर बड़ी बसों के संचालन को ग्रीन सिगनल मिल गया था, जिसका स्थानीय व चार धाम यात्रा के परिवहन कारोबारी विरोध कर रहे थे।
परिवहन विभाग ने कारोबारियों की मांग के अनुसार चार धाम यात्रा में केवल 166 व्हीलबेस की बसों के संचालन की ही अनुमति दी है। निर्धारित व्हीलबेस से 60 प्रतिशत रियर ओवरहैंग यानी बस का पिछला हिस्सा 60 प्रतिशत अधिक होने पर भी उसका संचालन किया जा सकेगा।
दे दी थी बसों का व्हीलबेस बढ़ाने की मंजूरी
पर्वतीय मार्गों की दशा सुधरने और चौड़ीकरण के बाद गत 14 मार्च को राज्य परिवहन प्राधिकरण ने पर्वतीय मार्गों पर बसों का व्हीलबेस बढ़ाने की मंजूरी दे दी थी। इस आदेश के क्रम में पर्वतीय मार्गों पर बस का रियर ओवरहैंग व्हीलबेस के 50 प्रतिशत तक होने की छूट दी गई थी।
चार धाम यात्रा के संयुक्त रोटेशन व परिवहन कारोबारी इसका विरोध कर रहे थे। उनका आरोप था कि सरकार ने यह कदम दूसरे राज्यों की बसों को लाभ पहुंचाने के लिए किया है। गुरुवार को यात्रा के नोडल अधिकारी/आरटीओ सुनील शर्मा ने 177 व्हीलबेस की बस व 10 वर्ष से अधिक पुरानी बसों के चार धाम यात्रा में संचालन पर रोक लगाने के आदेश कर दिए।
यह भी आदेश किए गए हैं कि चार धाम यात्रा में जो बसें बाहर से मंगाई जाएंगी, उन्हें न्यूनतम तीन ट्रिप अवश्य दिए जाएंगे। यात्रा में आवश्यकता पड़ने पर हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मुरादाबाद, बिजनौर, बरेली से भी बसें मंगाई जाएंगी। संबंधित क्षेत्र से सटे उत्तराखंड के एआरटीओ को बसों की अग्रिम सूची उपलब्ध कराने को कहा है।
यह होता है व्हीलबेस
किसी का बस का व्हीलबेस उसके दोनों टायर (अगले-पिछले) के मध्य की दूरी होती है। यानी अगर किसी बस के दोनों टायरों के सेंटर प्वाइंट (एक्सल) की दूरी 15 फीट है तो यही बस का व्हीलबेस होगा।
इसी क्रम में फ्रंट ओवरहैंग अगले टायर के एक्सल से आगे निकले हुए बस की बाडी के हिस्से को कहते हैं, जबकि रियर ओवरहैंग पिछले टायर के एक्सल से पीछे की तरफ निकले हुए हिस्से को कहते हैं।