नदियों के किनारे वन विभाग की भूमि पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ बीते एक माह से अभियान चलाया जा रहा है। वन विभाग ने सेटेलाइट व भौतिक निरीक्षण के आधार पर बड़ी संख्या में अतिक्रमण चिह्नित किया था, जिसके तहत अब तक की कार्रवाई में 2507 एकड़ वन भूमि मुक्त करा दी गई है। इस दौरान वन विभाग की ओर से 23 छोटी नदियों के किनारे ही 500 एकड़ भूमि कब्जा मुक्त कराई गई।
वन क्षेत्र में अवैध कब्जों पर लगातार कार्रवाई
उत्तराखंड में बीते तीन माह से अधिक समय से वन क्षेत्र में अवैध कब्जों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। धर्मस्थल के नाम पर किए गए अतिक्रमण को ध्वस्त किया गया, जिसमें कुल 510 अवैध धर्मस्थल हटाए गए। इनमें 453 मजार और 45 मंदिर शामिल हैं। इस दौरान वन विभाग ने 741 हेक्टेयर से अधिक भूमि को कब्जामुक्त कराया गया। इसके बाद दूसरे चरण में करीब एक माह पूर्व नदियों के किनारे कार्रवाई शुरू की गई।
नदियों किनारे अभियान में 2507 एकड़ भूमि मुक्त
नोडल अधिकारी मुख्य वन संरक्षक पराग मधुकर धकाते ने बताया कि नदियों के किनारे अभियान में 2507 एकड़ भूमि मुक्त कराया गया। खनन करने वाले मजदूरों की ओर से नदी किनारे ही बस्तियां बना दी जाती हैं।
प्रदेश में नदियों के किनारे 30 से 40 प्रतिशत कब्जे हैं। इसके अलावा प्रदेशभर में वन विभाग की 29193 एकड़ भूमि पर अतिक्रमण होने की पुष्टि हो चुकी है, जिसे मुक्त कराने को कार्रवाई की जा रही है।
हाईवे किनारे से हटाया जाएगा अतिक्रमण
हाई कोर्ट की ओर से उत्तराखंड में नेशनल व स्टेट हाईवे सहित अन्य सड़कों के किनारे सरकारी और वन भूमि पर किया गया अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए गए हैं। इस क्रम में सभी डीएफओ अपने स्तर पर कार्रवाई में जुट गए हैं।
इन नदियों के किनारे चला विशेष अभियान प्रदेश में गौला, खो, सुखरो, शीतला, शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गंगा, रिस्पना, चोरखाला नाला, स्वर्णीना नदी, आसन के बरसाती नाले, जाखन, मालदेवता, यमुना, टोंस, सहस्त्रधारा, आसन, मालन, कालसी व गंगा की सहायक नदियों के किनारे अतिक्रमण हटाया जाएगा।