राजीव गाँधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम: राजधानी देहरादून के पास कहने को अपना अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम है। लेकिन, खेल और खिलाड़ियों का इससे दूर-दूर तक वास्ता नहीं।
जनता की गाढ़ी कमाई से बना 237 करोड़ रुपये का स्टेडियम नाच-गाना का अड्डा बनकर रह गया है। कारण यह कि छह साल में इसके संचालन को ठोस व्यवस्था ही नहीं बनाई जा सकी। जो कामचलाऊ व्यवस्था की गई, उसमें स्टेडियम संवरने की बजाय बदहाल हो गया। अब स्टेडियम को संगीत समारोह के लिए किराये पर दिया जा रहा है।
घंटाघर से करीब आठ किमी दूर रायपुर के रांझावाला में स्थित है राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम। प्रदेश का यह पहला अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम दिसंबर 2016 को अस्तित्व में आया। तत्कालीन प्रदेश सरकार ने राज्य के क्रिकेट खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं देने के लिए इसका निर्माण कराया था।
सरकार की मंशा ठीक थी, लेकिन नौकरशाही की धींगामुश्ती इस पर भारी पड़ गई। उद्घाटन के बाद लगभग दो वर्ष तक स्टेडियम धूल फांकता रहा। न कोई क्रिकेट मैच हुआ और न खिलाड़ियों को अभ्यास करने की अनुमति ही दी गई। मई 2018 में प्रदेश सरकार ने आइएल एंड एफएस कंपनी को 30 साल के लिए स्टेडियम के संचालन का जिम्मा सौंपा। लेकिन, कोरोनाकाल की शुरुआत में ही कंपनी ने इससे हाथ खड़े कर दिए।
नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल पहुंची संचालक कंपनी
कोरोनाकाल में प्रदेश सरकार ने स्टेडियम को कोविड केयर सेंटर बनाने के लिए अधिग्रहीत कर लिया। इस संबंध में संचालक कंपनी आइएल एंड एफएस को कोई पत्र नहीं लिखा गया। इस पर कंपनी ने नेशनल कंपनी ला ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका डाल स्टेडियम का संचालन करने में असमर्थता जता दी। ट्रिब्यूनल ने स्टेडियम के संचालन को अंतरिम समाधान पेशेवर (आइआरपी) की नियुक्ति की है।
25 हजार के बैठने की है व्यवस्था
23 एकड़ जमीन पर बने स्टेडियम में 25 हजार व्यक्तियों के बैठने की व्यवस्था है। दिन-रात के मैच के लिए फ्लड लाइट भी है। मैदान के बीचोंबीच से बाउंड्री 80 मीटर लंबी है। सीटों को पारंपरिक ऐपण कला के रूप में व्यवस्थित किया गया है। कारपोरेट बाक्स के साथ स्वीमिंग पूल, बिलियर्ड्स रूम, जिम और क्लब हाउस जैसी आधुनिक सुविधाएं भी हैं।
कोरोनाकाल में हुआ बदहाल
संचालक कंपनी के हाथ खींचने के बाद सरकारी तंत्र ने स्टेडियम की तरफ नहीं झांका। इससे मैदान पर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आईं, जिन्हें नगर निगम ने किरकिरी होने पर कटवाया। जिम, स्टीम रूम, स्वीमिंग पूल आदि रखरखाव के अभाव में बदहाल हो गए। कुर्सियां और टाइल भी टूटी हुई हैं। बीते वर्ष रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरीज के दौरान इवेंट कंपनी ने अपने खर्च पर स्टेडियम का मैदान तैयार किया। इसके बाद से यहां कोई क्रिकेट प्रतियोगिता नहीं खेली गई। अब भी स्टेडियम को काफी मेंटीनेंस की जरूरत है।
ऊर्जा निगम ने काटी बिजली
स्टेडियम पर ऊर्जा निगम का 1.72 करोड़ रुपये बकाया है। स्टेडियम का संचालन कर रही कंपनी ने बिजली बिल का भुगतान ही नहीं किया। इसके चलते सितंबर 2022 में ऊर्जा निगम ने स्टेडियम की बिजली काट दी। अब यहां कोई कार्यक्रम होता है तो जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है।
अफगानिस्तान को भी नहीं आया रास
वर्ष 2018 में अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस स्टेडियम को अपना होम ग्राउंड बनाया था। इसके बाद अफगानिस्तान की टीम ने यहां कुछ प्रतियोगिताएं खेलीं, लेकिन सुविधाएं नहीं मिलने के कारण एक साल बाद ही होम ग्राउंड बदल दिया।
सर्वाधिक स्कोर का है वर्ल्ड रिकार्ड
टी-20 में सर्वाधिक स्कोर का वर्ल्ड रिकार्ड राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के नाम है। वर्ष 2018 में इस मैदान पर अफगानिस्तान ने आयरलैंड के विरुद्ध 20 ओवर में तीन विकेट खोकर 278 रन बनाए थे। इस टी-20 मुकाबले में अफगानिस्तान ने आस्ट्रेलिया का श्रीलंका के विरुद्ध बनाए 263 रन का रिकार्ड भी तोड़ा था।
अधिकांश राज्यों में क्रिकेट संघ चला रहे स्टेडियम
दिल्ली, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में बने अधिकांश क्रिकेट स्टेडियम का संचालन राज्य क्रिकेट संघ करते हैं। क्रिकेट एसोसिएशन आफ उत्तराखंड भी प्रदेश सरकार से कई बार स्टेडियम उसे सौंपने की मांग कर चुकी है।
राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का संचालन कर रही आइएल एंड एफएस और प्रदेश सरकार के बीच करार का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। जल्द ही न्यायालय का फैसला आ जाएगा। इसके बाद स्टेडियम का संचालन कैसे होगा तय किया जाएगा। फिलहाल, स्टेडियम हमारे हाथ में नहीं है। न्यायालय ने एक प्रतिनिधि तैनात किया है, जो स्टेडियम में हो रही गतिविधियों को अनुमति दे रहे हैं।