इंटर के बाद करियर के लिहाज से इंजीनियरिंग व मेडिकल की पढ़ाई पसंदीदा विकल्प है। यही कारण है कि हर साल लाखों छात्र जेईई व नीट के लिए आवेदन करते हैं।
बेशक आज मेडिकल व इंजीनियरिंग के अलावा भी दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं, जहां रोजगार के अच्छे अवसर हैं, पर डाक्टरी का क्रेज समय के साथ-साथ और बढ़ता जा रहा है।
नीट-यूजी के लिए इस बार मुकाबला और कड़ा होने वाला है। देश में इस बार रिकार्ड, 21 लाख से अधिक आवेदन हुए हैं। वहीं, उत्तराखंड में भी यह संख्या 20 हजार के पार पहुंच गई है। जबकि विगत वर्ष राज्य में 19,272 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
वेटनरी कोर्स में भी दाखिला
बता दें, नीट के जरिए न केवल एमबीबीएस और बीडीएस बल्कि आयुष यूजी में भी दाखिले होते हैं। इसके अलावा वेटनरी कोर्स में भी दाखिला नीट के माध्यम से ही खुलता है। वहीं, अब केंद्रीय संस्थानों में बीएससी नर्सिंग के लिए भी नीट जरूरी कर दिया गया है।
ध्यान देने वाली बात ये है कि एम्स व जिपमर में एमबीबीएस के लिए पहले अलग से परीक्षा होती थी, पर अब एमबीबीएस में दाखिले का नीट ही एकमात्र जरिया है। आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कालेज में भी दाखिला नीट के रैंक पर ही होता है।
नीट में आवेदकों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद
जानकार यह मान रहे हैं कि कई पाठ्यक्रम में दाखिले की एक परीक्षा होने से भी नीट के आवेदक बढ़े हैं। अविरल क्लासेज के निदेशक डीके मिश्रा के अनुसार, डाक्टरी के पेशे के लिए युवाओं में पिछले कुछ सालों में क्रेज बढ़ा है।
नीट के जरिए आयुष, वेटनरी के अलावा अब नर्सिंग के शामिल होने की वजह से भी आवेदनों में इजाफा हुआ है, जो युवा पहले राज्य स्तरीय नर्सिंग प्रवेश परीक्षा देते थे, वह भी अब नीट का विकल्प चुन रहे हैं।
लगातार सीटों में बढ़ोतरी की वजह से भी विद्यार्थियों का रुझान बढ़ रहा है। आगामी वर्षो में नीट में आवेदकों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। एक संभावना यह भी है कि किसी गलती के कारण फार्म रिजेक्ट अभ्यर्थी ने एक से ज्यादा बार पंजीकरण किया हो। यानी डुप्लीकेसी के कारण भी पंजीकरण बढ़ना संभव है।