प्रदेश की जेलों में कैदियों के लिए अभी तक स्वास्थ्य सेवाएं पटरी पर नहीं आ पाई हैं। यहां न तो नियमित चिकित्सक हैं और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए ठोस व्यवस्था। लगातार मांग के बावजूद स्वास्थ्य विभाग भी जेलों में चिकित्सकों की तैनाती नहीं करा पाया है।
अब हाईकोर्ट ने सख्त रुख दिखाया तो जेल प्रशासन ही गृह विभाग के जरिये इनकी तैनाती की तैयारी कर रहा है। इसके लिए जेलों में वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से चिकित्सकों को तैनात करने की तैयारी चल रही है।
साथ ही चिकित्सकों से ही उनके वेतन के संबंध में पूछा जाएगा और उसके आधार पर उनकी तैनाती की जाएगी। प्रदेश में अभी कुल 11 जेल हैं। इनमें नौ जिला जेल और दो उप जेल है। इन जेलों में इस समय 5300 से अधिक कैदी बंद हैं। कैदियों की यह संख्या जेलों की कुल क्षमता से कहीं अधिक है।
प्रदेश की जेलों में कैदी रखने की क्षमता लगभग 3700 ही है। इस कारण एक ही बैरक में निर्धारित से अधिक संख्या में कैदी बंद हैं। इस कारण यहां संक्रामक रोग फैलने की आशंका बनी रहती है।
साथ ही जेलों में कैदी भी समय-समय पर बीमार होते हैं। चिकित्सकों के न होने के कारण इन्हें इलाज के लिए नजदीकी सरकारी अस्पतालों में ले जाना पड़ता है। केंद्र सरकार ने कुछ समय पहले राष्ट्रीय जेल कानून लागू किया है। इसमें जेलों में हर जेल में पुरुष व महिला चिकित्सक और मनोचिकित्सकों की तैनाती अनिवार्य की गई है।
बावजूद इसके प्रदेश की जेलों में ऐसा नहीं हो पाया है। हाल ही में हाईकोर्ट में जेलों की सुविधाओं के संबंध में हुई सुनवाई के दौरान सरकार ने अपने जवाब में कहा कि जेलों में संविदा पर चिकित्सकों की तैनाती की जा रही है। इस कड़ी में वाक इन इंटरव्यू के माध्यम से चिकित्सकों की तैनाती की जाएगी।