तिलकराज बेहड़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार हैं। विधानसभा चुनाव से पहले इन्हें तीन अन्य नेताओं के साथ कार्यकारी अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया था। बेहड़ स्वयं तो जीत गए, मगर कांग्रेस 11 से बढ़कर 19 के आंकड़े तक ही पहुंच पाई। तिवारी सरकार में बेहड़ स्वास्थ्य मंत्री थे और उनका कार्यकाल खासा सफल भी रहा।
पिछले कुछ समय से स्वास्थ्य कारणों से ज्यादा सक्रिय नहीं रह सके, लेकिन अब लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच इनके एक बयान ने कांग्रेस में भूचाल ला दिया। दरअसल, बेहड़ ने कांग्रेस में क्षेत्रीय असंतुलन की स्थिति को सामने रख दिया।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष व उपनेता प्रतिपक्ष, तीनों पद कुमाऊं मंडल के पास हैं। हालांकि बेहड़ ऊधमसिंह नगर जिले की किच्छा सीट से विधायक हैं और यह भी कुमाऊं मंडल का ही हिस्सा है। अब कांग्रेस के साथ ही भाजपा नेता भी बेहड़ की कुशलक्षेम जानने पहुंच रहे हैं।
किस्सा एक अदद कुर्सी पाने का
गुजरा सप्ताह किस्सा कुर्सी को समर्पित रहा। मामला जुड़ा है वन विभाग के मुखिया की कुर्सी की जंग से। डेढ़ साल पहले तत्कालीन विभाग प्रमुख राजीव भरतरी का शासन ने तबादला जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर कर दिया था। उनकी जगह विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई आइएफएस विनोद सिंघल को। भरतरी ने उनके तबादला आदेश को कैट व हाईकोर्ट में चुनौती दी और निर्णय उनके पक्ष में आया। कोर्ट के आदेश पर शासन ने भरतरी को पदभार ग्रहण कराया, लेकिन पर कतरने में देर नहीं लगाई। उनके अधिकार सीज कर दिए गए। बड़ी कुर्सी का मामला था, सियासी गलियारों में भी गूंज होनी ही थी। कांग्रेस ने सरकार को घेरने का प्रयास किया, लेकिन शासन तो शासन है। उसने कोर्ट का आदेश भी माना और भरतरी को भी आइना दिखा दिया। दिलचस्प बात यह है कि भरतरी और सिंघल, दोनों 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
प्रतिद्वंद्वी नहीं, आपस में ही वार-पलटवार
चुनाव लोकसभा के हों, विधानसभा या पंचायत व नगर निकाय के, कांग्रेस पिछले लगभग एक दशक से जीत के लिए जूझ रही है। अब अगले साल फिर लोकसभा चुनाव हैं, लेकिन लगता है कांग्रेस ने भाजपा को वाकओवर देने की ही ठान ली है। इन दिनों पार्टी के अंदर इस कदर कलह मचा हुआ है कि प्रतिद्वंद्वी भाजपा नहीं, कांग्रेस के अधिकांश नेता एक-दूसरे को ही गरियाने में जुटे हैं। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा को कभी उनके पूर्ववर्ती प्रीतम सिंह निशाना बनाते हैं, तो बाकी भी भड़ास निकालने का मौका नहीं चूकते। प्रीतम को प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव फूटी आंख नहीं सुहाते। जैसे ही अवसर मिला, प्रीतम मोर्चा खोल देते हैं। माहरा को बचाव में उतरना ही पड़ता है, आखिर प्रभारी जो हैं। इन सबके बीच अकेले नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ही हैं, जो सबकी तरफ से भाजपा पर रोज हमला कर अपनी भूमिका से न्याय करते दिख रहे हैं।
कोटद्वार में मेडिकल कालेज पर घमासान
कोटद्वार विधानसभा सीट, अभी ऋतु खंडूड़ी भूषण इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष हैं ऋतु। पिछली विधानसभा में हरक सिंह रावत यहां से विधायक थे। कैबिनेट मंत्री रहते हुए कोटद्वार में मेडिकल कालेज बनाने की घोषणा की, लेकिन पेच फंस गया और हरक की मंशा फलीभूत नहीं हो पाई। चुनाव से ठीक पहले हरक भाजपा से कांग्रेस में लौट गए। हाल में हरक ने एक बार फिर कोटद्वार में मेडिकल कालेज का राग छेड़ दिया। जवाब देने को ऋतु खंडूड़ी भूषण तुरंत सामने आईं। इनका कहना था कि नीति के अनुसार एक जिले में दो मेडिकल कालेज नहीं हो सकते। पौड़ी जिले में पहले ही श्रीनगर में एक मेडिकल कालेज है। उन्होंने बाकायदा हरक को चुनौती दे डाली कि वह कोई शासनादेश तो दिखाएं इस संबंध में। यह मुद्दा पिछले कुछ वर्षों से खासा चर्चा में रहा है। देखते हैं अंजाम क्या होगा।