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बाढ़ से मथुरा-वृंदावन में हाहाकार: यमुना खतरे के निशान से ऊपर, 13 गांव बने टापू

यमुना नदी के लगातार बढ़ते जलस्तर ने मथुरा और वृंदावन क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। पिछले 24 घंटे में यमुना का जलस्तर 166.56 मीटर तक पहुंच गया है, जो खतरे के निशान 166 मीटर से 56 सेंटीमीटर अधिक है। जिला प्रशासन ने शुक्रवार और शनिवार को हाई अलर्ट जारी किया है।

यमुना के जलस्तर में वृद्धि के चलते 23 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जिनमें 13 गांव पूरी तरह जलमग्न हैं और टापू में तब्दील हो चुके हैं। सबसे अधिक प्रभावित नौहझील क्षेत्र के लगभग नौ गांव हैं। वहीं, मथुरा और वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियों में चार-चार फीट तक पानी भर गया है, भक्ति विहार, घनश्याम वाटिका, अक्रूर धाम, श्याम नगर, केशव नगर, मोहिनी नगर जैसे इलाके जलमग्न हैं। कई घरों में पानी घुस चुका है और लोग छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं। वृंदावन में हालात इतने खराब हैं कि कई सड़कों पर नावें चल रही हैं और शहर एक ‘जल-नगरी’ में तब्दील हो गया है।

प्रशासन की ओर से अब तक 1500 से अधिक लोगों को नावों के जरिये सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है। बाढ़ पीड़ितों के लिए चार शेल्टर होम बनाए गए हैं—शाहपुर, धानौता, गुलालपुर और नगला नंदी में। इन शेल्टरों में भोजन, पेयजल, दवाइयां और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था की गई है।

डीएम चंद्रप्रकाश सिंह और एसडीएम वैभव गुप्ता समेत प्रशासनिक अधिकारी लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं। 39 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं, जिन पर एसडीएम, लेखपाल, डॉक्टर और पुलिस बल तैनात हैं, बाढ़ की प्रमुख वजह पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश और हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा गया पानी है। बीते दिनों हथिनीकुंड से 3.29 लाख क्यूसेक और ओखला से 2.44 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। गोकुल बैराज से अभी भी 1.11 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज जारी है।

क्षेत्रीय विधायक राजेश चौधरी ने नाव से बाढ़ प्रभावित गांवों का निरीक्षण किया और देवराहा बाबा आश्रम में साधु-संतों से भेंट कर उनकी स्थिति की जानकारी ली। साधु-संतों ने प्रशासन की मदद की सराहना करते हुए राहत सामग्री पहुंचाने की मांग की। ग्रामीण क्षेत्रों में धान, बाजरा, ज्वार जैसी खड़ी फसलें पानी में डूब गई हैं। पशुओं के लिए हरे चारे की भारी किल्लत हो रही है। कुछ गांवों में प्रशासन अब तक नहीं पहुंच पाया है, जिससे लोगों में नाराजगी भी देखी जा रही है।
प्रशासन ने सभी बाढ़ प्रभावित लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर शरण लें, और अफवाहों पर ध्यान न दें। आपात स्थिति में स्थानीय बाढ़ चौकी या हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें। किसी भी तरह की मदद के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है

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