उत्तराखंड के चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में बीती रात बादल फटने की घटना में भारी तबाही हुई है। आपदा की चपेट में आने से पांच ग्रामीणों के लापता होने की सूचना है, जबकि दो लोग घायल हुए हैं। भारी वर्षा के कारण क्षेत्र के कई गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नगर पंचायत नंदानगर के कुन्तरि लगाफाली वार्ड में रात के समय तेज बारिश और मलबा आने से छह भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। आपदा परिचालन केंद्र द्वारा गुरुवार सुबह जारी प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार, लापता ग्रामीणों की तलाश जारी है।
नंदानगर क्षेत्र का सेरा गांव इस आपदा में सर्वाधिक प्रभावित बताया जा रहा है। मोक्ष नदी का जलस्तर अचानक बढ़ जाने से नदी ने अपना मार्ग बदल लिया, जिससे महिपाल सिंह, अवतार सिंह और पुष्कर सिंह के घर खतरे की जद में आ गए। बताया जा रहा है कि महिपाल सिंह का बाथरूम सबसे पहले बह गया, जिसके बाद नदी का पानी घर में घुस गया। प्रभावित परिवारों ने रात के अंधेरे में घर छोड़ कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागकर जान बचाई।
सेरा से ऊपर स्थित धुर्मा गांव में भी कई भवनों को नुकसान पहुंचा है। वहीं बागड़ टॉप में बादल फटने से कई दुकानें और मकान मलबे में बह गए हैं। फफाली और बांजबगड़ गांवों से भी मलबा आने और मकानों के क्षतिग्रस्त होने की खबर है।
आपदा के चलते इलाके में बिजली आपूर्ति पूरी तरह बाधित है और मोबाइल नेटवर्क भी काम नहीं कर रहा है। क्षेत्र की सड़कें मलबे से बंद हैं, जिससे राहत दलों को मौके पर पहुंचने में कठिनाई हो रही है। सेरा गांव का एकमात्र पेट्रोल पंप भी मलबे से ढक गया है।
ग्रामीणों ने किसी तरह जिलाधिकारी संदीप तिवारी तक सूचना पहुंचाई है और राहत कार्य शुरू करने की मांग की है। प्रशासन की ओर से अब तक कोई विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आपदा प्रबंधन टीमें स्थिति का आकलन कर रही हैं।
आपदा से प्रभावित क्षेत्र में दहशत और ग़म का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि 8 जुलाई को भी इसी क्षेत्र में भारी तबाही हुई थी, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। एक ग्रामीण ने कहा, “हम हर साल इसी डर के साथ जीते हैं, लेकिन अब हालात बर्दाश्त के बाहर हैं।”