onwin giriş
Home अंतर-राष्ट्रीय

जेलेंस्की का अमेरिका को संदेश—रूस को क्षेत्र सौंपने का दबाव न बनाए, सुरक्षा गारंटी मिले तो नाटो प्रयास छोड़ सकता है यूक्रेन

बर्लिन।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अमेरिका को रूस के साथ युद्ध समाप्त करने के नाम पर यूक्रेन पर किसी भी तरह का क्षेत्रीय समझौता थोपने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि पश्चिमी देश यूक्रेन को ठोस और कानूनी रूप से बाध्यकारी सुरक्षा गारंटी प्रदान करते हैं, तो कीव नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने की कोशिश छोड़ने पर विचार कर सकता है।

रविवार को बर्लिन पहुंचने पर पत्रकारों से बातचीत में जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों द्वारा नाटो सदस्यता को लेकर यूक्रेन के प्रयासों को खारिज किए जाने के बाद, अब पश्चिम को नाटो देशों जैसी सुरक्षा गारंटी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ये गारंटी रूस को भविष्य में दोबारा युद्ध शुरू करने से रोकने के लिए जरूरी हैं।

जेलेंस्की ने जोर देकर कहा कि कोई भी सुरक्षा आश्वासन केवल राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि कानूनी रूप से बाध्यकारी होना चाहिए और उसे अमेरिकी कांग्रेस का समर्थन भी मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्टटगार्ट में यूक्रेनी और अमेरिकी सैन्य अधिकारियों की बैठक के बाद उन्हें अपनी टीम से विस्तृत जानकारी मिलने की उम्मीद है।

इस बीच, उन्होंने रूस को क्षेत्र सौंपने के किसी भी प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका को यूक्रेन पर ऐसा कोई दबाव नहीं बनाना चाहिए। गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस से युद्ध को जल्द खत्म करने की मांग कर रहे हैं और समझौते में हो रही देरी से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं।

संभावित शांति समझौते में सबसे बड़ी बाधा यूक्रेन के पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र को लेकर है, जिसका बड़ा हिस्सा रूसी सेना के कब्जे में है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन से उन इलाकों से सेना हटाने की मांग की है, जो अब भी कीव के नियंत्रण में हैं, लेकिन यूक्रेन ने इस मांग को ठुकरा दिया है।

जेलेंस्की ने यह भी खुलासा किया कि अमेरिका की ओर से दोनेत्स्क से यूक्रेनी सेना को पीछे हटाने और वहां मुक्त आर्थिक क्षेत्र बनाने का सुझाव दिया गया था, जिसे उन्होंने अव्यवहारिक बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यूक्रेनी सेना पीछे हटे, तो रूसी सेना भी कब्जे वाले इलाकों से समान दूरी तक पीछे क्यों नहीं हटती।

राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इस मुद्दे को बेहद संवेदनशील बताते हुए कहा कि मौजूदा हालात में सबसे व्यावहारिक विकल्प यही है कि दोनों पक्ष जहां हैं, वहीं बने रहें। उन्होंने बर्लिन में जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज और अन्य यूरोपीय नेताओं से भी मुलाकात करने की बात कही।

Similar Posts

© 2015 News Way· All Rights Reserved.