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अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ा तनाव, अफगानी सेना के हमले में 58 पाक सैनिकों की मौत का दावा

काबुल/इस्लामाबाद, 12 अक्टूबर 2025:

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव एक बार फिर गंभीर रूप लेता दिख रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में, अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने दावा किया है कि उसके सुरक्षाबलों ने पाकिस्तान की तीन सीमा चौकियों पर हमला कर उन्हें अपने नियंत्रण में ले लिया है। इस हमले में 58 पाकिस्तानी सैनिकों के मारे जाने की भी बात कही जा रही है, हालांकि पाकिस्तान की ओर से इन दावों की अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने 9 अक्टूबर को अफगानिस्तान के खोस्त, जलालाबाद, पक्तिका और काबुल क्षेत्रों में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के ठिकानों पर हवाई हमले किए थे। बताया जा रहा है कि इन हमलों में टीटीपी प्रमुख नूर वली महसूद को निशाना बनाया गया। इन हमलों को लेकर तालिबान सरकार ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और इसे अफगानिस्तान की संप्रभुता का उल्लंघन बताया था।

इसके जवाब में, अफगान बलों ने 11 अक्टूबर की रात को हेलमंद प्रांत के बहरामचा इलाके में शाकिज, बीबी जानी और सालेहान नामक चौकियों पर तीन घंटे लंबा सैन्य अभियान चलाया। अफगानी मीडिया टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान अफगान बलों ने न केवल इन चौकियों पर कब्जा कर लिया, बल्कि पाकिस्तानी सुरक्षाबलों के कई हथियार भी जब्त किए। इसमें पांच कलाश्निकोव राइफलें, एक नाइट विजन स्कोप और एक शव बरामद किया गया।

हालिया संघर्ष के बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ लगने वाली कई सीमाओं को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है, जिनमें टोरखम और चमन सीमा बिंदु प्रमुख हैं। इन क्षेत्रों में व्यापार और यातायात पर गंभीर असर पड़ा है।

अब तक पाकिस्तान की ओर से न तो सैनिकों की मौत की पुष्टि की गई है और न ही चौकियों पर कब्जे की। पाकिस्तानी सेना और विदेश मंत्रालय की ओर से कोई विस्तृत बयान जारी नहीं किया गया है। दूसरी ओर, तालिबान सरकार इस कार्रवाई को पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश बता रही है — कि वह किसी भी प्रकार के आक्रामक कदम का मुँहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

सुरक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि डुरंड लाइन (अफगान-पाक सीमा) पर लंबे समय से तनाव बना हुआ है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के आने के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी कि वह TTP के खिलाफ कड़ा रुख अपनाएगा, लेकिन अब हालात उसके उलट होते दिख रहे हैं। तालिबान न केवल TTP को खुला समर्थन देता दिख रहा है, बल्कि पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाइयों के जवाब में सीधा सैन्य टकराव भी कर रहा है।

हालिया घटनाएं यह संकेत देती हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा पर स्थिति अत्यधिक संवेदनशील हो गई है। यदि कूटनीतिक प्रयासों से जल्द स्थिति को नहीं संभाला गया, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

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