गया। केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी अपने एक विवादित बयान को लेकर चर्चा में हैं। गया जी में आयोजित एक पार्टी कार्यक्रम के दौरान मांझी ने दावा किया कि सभी सांसद और विधायक विकास कार्यों में कमीशन लेते हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी पार्टी के विधायकों को भी कमीशन लेने की सलाह दे डाली।
मांझी ने कहा कि अगर कोई विधायक 10 प्रतिशत कमीशन नहीं ले पा रहा है, तो कम से कम 5 प्रतिशत तो जरूर लेना चाहिए। उन्होंने कहा, “हर सांसद और विधायक कमीशन लेता है। एक रुपये में से 10 पैसे भी बड़ी रकम होती है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि विकास कार्यों के लिए 5 करोड़ रुपये मिलते हैं और अगर उसमें 10 प्रतिशत कमीशन लिया जाए तो यह राशि करीब 40 लाख रुपये होती है।
मांझी ने यह भी कहा कि उन्होंने कई बार अपने कमीशन की राशि पार्टी फंड में दी है और इस पैसे का उपयोग पार्टी के कार्यों, जैसे वाहन खरीदने, में किया जा सकता है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान मांझी ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी रणनीति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को 100 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। साथ ही चेतावनी दी कि यदि पार्टी की मांगें पूरी नहीं हुईं, तो वह स्वतंत्र रूप से भी चुनाव लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि उनकी जाति के लोग पार्टी का साथ देंगे, लेकिन अन्य वर्गों के समर्थन की भी जरूरत है।
जीतन राम मांझी ने एनडीए गठबंधन पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि गठबंधन के भीतर उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है। मांझी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी पार्टी अब राज्यसभा में एक सीट चाहती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर हमें हमारा हक नहीं मिला, तो हमें अपना रास्ता खुद बनाना होगा।”
मांझी ने यह भी कहा कि मंत्री पद उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं है और यदि वह केंद्रीय मंत्रिमंडल में नहीं भी रहे, तो उनका राजनीतिक अस्तित्व बना रहेगा। उनके इस बयान को एनडीए पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर, जीतन राम मांझी के बयान ने न सिर्फ राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, बल्कि गठबंधन की राजनीति में भी नई हलचल पैदा कर दी है।

