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देहरादून और हरिद्वार में जल्दी बनेंगे चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क, बच्चों की दी जाएगी जानकारी

प्रदेश में बच्चों को शुरुआत से ही यातायात के नियमों की जानकारी देने के लिए चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क खोलने की कवायद अब तेज हो गई है। इस कड़ी में परिवहन विभाग ने देहरादून और हरिद्वार में चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क बनाने के लिए जगह चिन्हित कर ली है। प्रदेश के अन्य जिलों में भी पार्क के लिए जमीन की तलाश की जा रही है। जमीन मिलने के बाद इन जिलों में भी चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क खोले जाएंगे।

 

उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा बढ़ने के साथ ही यातायात नियमों के उल्लंघन के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए आमजन को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करने की जरूरत महसूस की जा रही है। कुछ समय पूर्व मुख्य सचिव डा एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई बैठक में तय किया गया कि स्कूलों में भी बच्चों को यातायात के नियमों की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए समय-समय पर स्कूलों में कार्यशाला आयोजित करने पर जोर दिया गया।

 

 

खेल-खेल में बच्चों को दी जाएगी जानकारी

इसी कड़ी में यह भी निर्णय लिया गया कि हर जिले में चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क खोले जाएं, जहां खेल-खेल में बच्चों को यातायात के नियमों की जानकारी दी जा सके। इसके लिए सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों को अपने यहां चिल्ड्रन पार्क के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए गए। इस कड़ी में देहरादून में सहस्रधारा हेलीपैड के निकट और हरिद्वार में आरटीओ कार्यालय के समीप चिल्ड्रन पार्क के लिए जमीन चिह्नित कर ली गई है। अब इन दोनों स्थानों पर पार्क निर्माण के लिए डीपीआर बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा।

 

चिल्ड्रन पार्क के लिए दी 50 लाख की राशि

सरकार ने चिल्ड्रन पार्क बनाने के लिए अभी 50 लाख रुपये की मंजूरी प्रदान की है। डीपीआर में ही पार्क की सही लागत बताई जाएगी। इसके लिए बजट की व्यवस्था सरकार करेगी। संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने बताया कि चिल्ड्रन पार्क बनाने के लिए हर जिले में जमीन तलाशी जा रही है। सभी को जल्द से जल्द इसकी सूचना भेजने को कहा गया है।

 

कुछ ऐसा होगा चिल्ड्रन पार्क

इस पार्क में बच्चों को साइकिल व खिलौना कार आदि उपलब्ध कराई जाएगी। इस पार्क में दो-तीन ट्रेक भी बनाए जाएंगे, जिनमें यातायात चिन्ह लगाए जाएंगे। यह बताया जाएगा कि किस चिन्ह का क्या अर्थ होता है। इसके साथ ही यहां रेलवे पटरी भी बनाई जाएगी, जिसमें कोई गेट नहीं होगा। इससे यह सिखाया जाएगा कि इस तरह रेल पटरियों को किस तरह पार किया जाए।

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