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देहरादून में 98.5 एकड़ की सरकारी IT पार्क भूमि का रिकॉर्ड गायब: कांग्रेस ने लगाया घोटाले का आरोप

देहरादून। उत्तराखंड में सिडकुल IT पार्क, देहरादून की 98.5 एकड़ सरकारी भूमि (वर्तमान बाज़ार मूल्य ₹4,000 करोड़ से अधिक) के आवंटन से जुड़े दस्तावेज़ों के गायब होने का मामला अब बड़े भूमि घोटाले का रूप लेता दिखाई दे रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं अधिवक्ता अभिनव थापर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पूरे प्रकरण का खुलासा किया था, जिसके बाद सिडकुल प्रशासन की ओर से जारी दस्तावेज़ों ने संदेह और गहरा कर दिया है।

थापर की प्रेस कॉन्फ्रेंस के अगले ही दिन, 28 नवंबर 2025 को सिडकुल प्रशासन ने “रिकॉर्ड उपलब्ध कराने” के नाम पर केवल दो पन्नों की नोटशीट सौंपी—वह भी 04 अक्टूबर 2002 तक की।
इससे भी बड़ा सवाल यह है कि वर्ष 2002 से 2025 तक पूरे 23 वर्षों की नोटशीट, फाइल मूवमेंट, निर्णय, अनुमोदन और आवंटन प्रक्रिया के सभी दस्तावेज पूरी तरह लापता हैं।

यह स्थिति रिकॉर्ड मिटाने, फाइल छिपाने और सरकारी भूमि के आवंटन में संभावित बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की ओर संकेत करती है।

मुख्य सूचना आयुक्त ने 16 सितंबर 2025 को अपने अंतिम आदेश में स्पष्ट निर्देश दिया था:
“आवंटन प्रक्रिया की संपूर्ण प्रमाणित फाइल प्रतिलिपि आवेदक को उपलब्ध कराई जाए।”

लेकिन इसके बावजूद सिडकुल ने—

  • न फाइल उपलब्ध कराई,
  • न आदेश का पालन किया,
  • न 23 साल का रिकॉर्ड प्रस्तुत किया।

यह सूचना आयुक्त के आदेशों की स्पष्ट अवहेलना और सरकारी कामकाज में गहरे स्तर के भ्रष्टाचार का संकेत माना जा रहा है।

इन गंभीर विसंगतियों के आधार पर वरिष्ठ कांग्रेस नेता व अधिवक्ता अभिनव थापर ने 03 दिसंबर 2025 को मुख्यमंत्री, उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव व सिडकुल MD को पत्र भेजकर—

तत्काल FIR दर्ज करने,

  • पूरे मामले की स्वतंत्र व उच्च स्तरीय जांच कराने,
  • और गायब फाइलों का पुनर्निर्माण करने
  • की आधिकारिक मांग की है।

थापर ने कहा:

“98.5 एकड़ सरकारी भूमि जनता की अमानत है। फाइलों का गायब होना और सूचना आयुक्त आदेशों की अवहेलना एक बड़े घोटाले का स्पष्ट संकेत देता है। कांग्रेस इसे दबने नहीं देगी।”

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की, तो कांग्रेस इस मुद्दे को सड़क से सदन तक मजबूती से उठाएगी।

सिडकुल IT पार्क की जमीन का बाजार मूल्य ₹4,000 करोड़ से अधिक फाइलों के गायब होने से आवंटन प्रक्रिया पर बड़े सवाल

  • 23 वर्षों का सरकारी रिकॉर्ड लापता
  • सूचना आयुक्त के आदेश का पालन नहीं
  • सिडकुल ने केवल 2 पन्नों की पुरानी नोटशीट सौंपी

यह मामला उत्तराखंड के हालिया राजनीतिक और प्रशासनिक इतिहास के सबसे बड़े संभावित भूमि घोटालों में से एक के रूप में उभर रहा है। अब सभी की निगाहें इस पर टिक गई हैं कि—

  • क्या सरकार FIR दर्ज कराएगी,
  • क्या गायब फाइलों का रहस्य सुलझेगा,
  • और क्या किसी बड़े घोटाले का पर्दाफाश होगा।

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