नई दिल्ली | 11 नवंबर 2025
हर पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने बच्चे की सेहत का खास ध्यान रखे। अक्सर माता-पिता बच्चों को मीठा देने के लिए गुड़ या चीनी का सेवन कराते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह वास्तव में कितना सही या नुकसानदायक है?
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रवि मलिक का कहना है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को न तो गुड़ देना चाहिए और न ही चीनी।
डॉ. मलिक के अनुसार —
“दो साल से कम उम्र के बच्चों को गुड़ या शुगर नहीं देना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में उनका पाचन तंत्र पूरी तरह विकसित नहीं होता। मीठे पदार्थ उनके दांतों और मेटाबॉलिज्म को नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
हालांकि, दो साल के बाद यदि आप बच्चे को थोड़ी मात्रा में मीठा देना चाहते हैं, तो गुड़ चीनी की तुलना में बेहतर विकल्प माना जा सकता है — लेकिन मात्रा बहुत सीमित होनी चाहिए।
गुड़, गन्ने के रस से बिना रासायनिक प्रोसेस के बनाया जाता है, इसलिए इसमें आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम और मिनरल्स पाए जाते हैं।
वहीं चीनी को अधिक प्रोसेस किया जाता है, जिससे उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं और वह केवल खाली कैलोरी (Empty Calories) का स्रोत रह जाती है।
गुड़ के साइड इफेक्ट्स
- गुड़ में भी उच्च मात्रा में शर्करा होती है, जिससे बच्चों में अचानक ऊर्जा बढ़ने के बाद थकान या कमजोरी आ सकती है।
- अधिक सेवन से गैस, कब्ज और पेट दर्द जैसी दिक्कतें हो सकती हैं, खासकर गर्म मौसम में।
- बिना ब्रश किए गुड़ खाने से दांतों पर दाग और कैविटी हो सकती है।
- लंबे समय तक अधिक सेवन इंसुलिन सेंसिटिविटी को घटा सकता है, जिससे भविष्य में डायबिटीज़ का खतरा बढ़ सकता है।
चीनी के साइड इफेक्ट्स
- चीनी में उच्च कैलोरी होती है, जिससे बच्चों में वजन बढ़ने और मोटापे का खतरा रहता है।
- इससे बच्चों के मूड में उतार-चढ़ाव आता है, क्योंकि शुगर शरीर में इंसुलिन लेवल को अस्थिर करती है।
- दांतों में सड़न और कैविटी का सबसे बड़ा कारण यही है, क्योंकि चीनी बैक्टीरिया को बढ़ावा देती है।
- लंबे समय तक अधिक सेवन से दिल की बीमारियां, खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है।
- बच्चों में चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और आक्रामकता भी शुगर की अधिकता से जुड़ी मानी जाती है।
✅ डॉक्टर की सलाह
- 2 साल की उम्र से पहले बिलकुल मीठा न दें।
- 2 साल के बाद भी बहुत सीमित मात्रा में गुड़ दें, वो भी भोजन के बाद नहीं बल्कि नियंत्रित मात्रा में।
- बच्चों को मीठा देने की बजाय फल, सूखे मेवे और प्राकृतिक मिठास वाले पदार्थ (जैसे केला, खजूर, सेब की प्यूरी) का इस्तेमाल करें।
- शुगर और गुड़ दोनों के बाद बच्चे को पानी पिलाएं और ब्रश करवाना न भूलें।
गुड़, चीनी से थोड़ा बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन “मीठा” बच्चों के लिए किसी इनाम की तरह नहीं, बल्कि जिम्मेदारी से नियंत्रित मात्रा में दिया जाना चाहिए।
डॉ. रवि मलिक की सलाह साफ है —
“मीठा स्वाद जरूर है, लेकिन बचपन की सेहत उससे कहीं ज्यादा कीमती है।”

