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ओडिसा पर मिसाइल हमले के जवाब में यूक्रेन का पलटवार, रूस के सारातोव पर ड्रोन हमला; 2 की मौत

कीव/मॉस्को।
यूक्रेन ने ओडिसा पोर्ट पर रूसी बैलिस्टिक मिसाइल हमले का जवाब देते हुए रूस के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र सारातोव पर ड्रोन हमला किया है। इस हमले में कम से कम दो लोगों की मौत हो गई। यह कार्रवाई रूस द्वारा तुर्की के एक जहाज को निशाना बनाए जाने के महज 24 घंटे के भीतर की गई।

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, यूक्रेनी ड्रोन हमले से सारातोव क्षेत्र में एक रिहायशी इमारत क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि एक किंडरगार्टन और एक क्लिनिक की कई खिड़कियां टूट गईं। सारातोव क्षेत्र के गवर्नर रोमन बुसार्गिन ने बताया कि हमले से इलाके में दहशत फैल गई।

रूस के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि रात भर में रूसी क्षेत्रों पर भेजे गए 41 यूक्रेनी ड्रोनों को मार गिराया गया। वहीं यूक्रेन के क्षेत्रीय प्रमुख ओलेक्सांद्र प्रोकुदिन ने कहा कि रूसी हमलों के कारण खेरसॉन क्षेत्र के कुछ हिस्सों में ऊर्जा अवसंरचना को नुकसान पहुंचा है, जिससे शनिवार को बिजली आपूर्ति बाधित रही।

यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों का आरोप है कि रूस यूक्रेनी पावर ग्रिड को पूरी तरह निष्क्रिय करने की कोशिश कर रहा है, ताकि नागरिकों को लगातार चौथी सर्दी में बिजली, गर्मी और पानी से वंचित रखा जा सके। यूक्रेनी अधिकारियों ने इसे सर्दी को “हथियार” बनाने की रणनीति करार दिया है।

इस बीच क्रेमलिन के सलाहकार यूरी उशाकोव ने कहा है कि अगर शांति समझौते के तहत युद्ध समाप्त भी हो जाता है, तब भी रूस पूर्वी यूक्रेन के डोनाबास क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बनाए रखेगा। उन्होंने कहा कि वहां रूसी पुलिस और नेशनल गार्ड की तैनाती जारी रहेगी, जिससे मॉस्को की युद्ध के बाद भी इस उद्योग-समृद्ध क्षेत्र पर निगरानी रखने की मंशा साफ होती है।

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध समाप्त कराने के लिए अमेरिका मध्यस्थता कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए दबाव बना रहे हैं, हालांकि वार्ता लंबी खिंचने से यूक्रेन कुछ शर्तों को स्वीकार करने से इनकार कर सकता है। उशाकोव ने कहा कि रूस तभी युद्धविराम को मंजूरी देगा, जब यूक्रेनी सेनाएं फ्रंट लाइन से पीछे हटेंगी।

इसी बीच जर्मनी ने घोषणा की है कि वह सोमवार को यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की की मेजबानी करेगा। यह बैठक शांति प्रयासों को गति देने और यूरोपीय नेताओं की भूमिका तय करने के लिहाज से अहम मानी जा रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, संभावित शांति समझौते में सबसे बड़ी बाधा यह है कि फिलहाल रूसी नियंत्रण में मौजूद यूक्रेनी क्षेत्रों पर अंतिम नियंत्रण किसका होगा।

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