उत्तराखंड में शत्रु प्रॉपर्टी को कब्जे में लेने की कवायद तेज हो गई है। उत्तराखंड सरकार ऐसी प्रॉपर्टी को खोज रही है और उन पर कब्जा कर रही है।
शत्रु संपत्ति उत्तराखंड सरकार लेगी कब्जा
उत्तराखंड के हरिद्वार, नैनीताल सहित कई जिलों में शत्रु प्रॉपर्टी स्थित है। केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को 69 प्रॉपर्टी की प्रमाणित लिस्ट भेज दी गई है और इसी तरह अन्य प्रॉपर्टी के लिए दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। बता दें कि शत्रु प्रॉपर्टी का मामला 1969 से ही विवाद चल रहा है। अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को ऐसी प्रॉपर्टी को कब्जे में लेने को कहा है। केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई लिस्ट के अनुसार उत्तराखंड के देहरादून, हरिद्वार उधम सिंह नगर और नैनीताल में शत्रु प्रॉपर्टी मौजूद है जिसके बाद अब सरकार एक्शन मोड में आ गई है और ऐसी प्रॉपर्टी को जब्त कर रही है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर शत्रु प्रॉपर्टी होती क्या है। तो चलिए आपको बताते हैं कि शत्रु प्रॉपर्टी का पूरा कांसेप्ट क्या है और क्यों भारत में सरकार शत्रु प्रॉपर्टी को कब्जे में लेने के लिए एक्शन मोड में दिख रही है।
1947 में भारत पाकिस्तान और भारत चीन युद्ध के समय हुए बंटवारे में कई भारतीय नागरिक पाकिस्तान और चीन चले गए थे और उनकी प्रॉपर्टी भारत में रह गई थी। उत्तराखंड में भी कई ऐसी प्रॉपर्टी मौजूद हैं और इनका कोई भी इस्तेमाल नहीं हो रहा है । यह बंटवारे के समय से खाली पड़ी हुई हैं। ऐसी प्रॉपर्टी को शत्रु प्रॉपर्टी कहा जाता है। आप यह भी सोच रहे होंगे कि क्यों सरकार इन शत्रु प्रॉपर्टी को कब्जे में ले रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन प्रॉपर्टी पर कई लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं और यह प्रॉपर्टी पब्लिक यूटिलिटी के लिए बेहद जरूरी है। सरकार के पास वैसे ही जमीनों की कमी है। ऐसे में शत्रु प्रॉपर्टी का सरकार पब्लिक यूटिलिटी और विकास कार्यों के लिए यानी कि जन सुविधा विकसित करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। यही वजह है कि उत्तराखंड में इस तरह की प्रॉपर्टी को प्रशासन लगातार अपने नियंत्रण में ले रहा है।