देहरादून विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 500 से अधिक बेसमेंट हैं। यह बेसमेंट देहरादून, पछवादून व परवादून क्षेत्र में स्थित हैं। एमडीडीए की ओर से बेसमेंटों को लेकर हुई बैठक में कहा गया कि यह सुनिश्चित कराया जाए कि बेसमेंट को पूरी तरह से खाली रखा जाए।
भारत-पाकिस्तान में तनातनी के बीच दून में भी शहरवासियों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थलों की सूची तैयार की गई है। एमडीडीए के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने कहा प्राधिकरण क्षेत्र में स्थित बेसमेंटों को किसी भी आपात स्थिति में बंकर के तौर पर प्रयोग करने के लिए तैयार किया जा रहा है। इसके लिए टीम को निर्देशित किया गया है।
दरअसल देहरादून विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 500 से अधिक बेसमेंट हैं। यह बेसमेंट देहरादून, पछवादून व परवादून क्षेत्र में स्थित हैं। एमडीडीए की ओर से बृहस्पतिवार को बेसमेंटों को लेकर हुई बैठक में कहा गया कि यह सुनिश्चित कराया जाए कि बेसमेंट को पूरी तरह से खाली रखा जाए। सेक्टरवार बेसमेंटों में सुविधाओं को जांच लिया जाए। सभी बेसमेटों में रैंप के अलावा साफ-सफाई, बिजली, पानी की व्यवस्था हर हाल में कराने के निर्देश दिए गए।
बंकर में अंतर
बेसमेंट और बंकर में मुख्य अंतर उसके उपयोग व निर्माण में है। बेसमेंट आमतौर पर बिल्डिंग का हिस्सा होता है, जो मुख्य मंजिल से नीचे होता है और इसमें रहने योग्य जगह, भंडारण या उपयोग के लिए खाली जगह हो सकती हैं। बंकर एक सुरक्षात्मक संरचना है, जो किसी आपातकाल या युद्ध की स्थिति से लोगों और संपत्ति की रक्षा के लिए बनाया जाता है। बेसमेंट नींव पर बनाया जाता है। इसमें आम तौर पर खिड़कियां और दरवाजे होते हैं। बंकर को मजबूत सामग्री जैसे कंक्रीट या स्टील से बनाया जाता है। उसमें खिड़कियां और दरवाजे कम होते हैं या नहीं होते। बेसमेंट आम तौर पर हवादार और रोशनी वाला होता है। बंकर को आमतौर पर हवा और प्राकृतिक रोशनी से बचाने के लिए डिजाइन किया जाता है।
बेसमेंट की चेकिंग का अभियान समय समय पर चलाया जाता है, इसी के तहत बेसमेंट की चेकिंग का अभियान शुरू किया गया है। इसे किसी भी प्रकार की स्थिति में प्रयोग कर सकते हैं। प्राधिकरण का प्रयास जागरूकता व सुरक्षा के लिए प्रयास करना है।
– बंशीधर तिवारी, उपाध्यक्ष, एमडीडीए