उत्तर प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंज़ूरी दे दी है। सरकार का कहना है कि इस व्यवस्था से राज्य में आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित होंगी।
सरकार का दावा है कि नई प्रणाली से लाखों कर्मचारियों को राहत मिलेगी, जिन्हें अब तक निजी एजेंसियों के माध्यम से शोषण का सामना करना पड़ता था। कर्मचारियों पर अक्सर यह आरोप लगता था कि उन्हें पूरा मानदेय नहीं मिलता, ईपीएफ़ और ईएसआईसी की राशि रोक ली जाती है और भुगतान में देरी होती है।
हालाँकि, विपक्ष का कहना है कि यह कदम स्थायी नौकरियों से बचने की एक कोशिश है और युवाओं को पक्का रोजगार देने के बजाय उन्हें कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था में बाँधने की रणनीति है।
युवाओं और कर्मचारियों की राय भी इस पर बंटी हुई है—कुछ इसे राहत बताते हैं तो कुछ इसे नाकाफ़ी मानते हैं।
नई व्यवस्था के तहत निगम एजेंसियों का चयन जेम (GeM) पोर्टल के माध्यम से करेगा। साथ ही, कर्मचारियों की नियुक्ति, वेतन और सेवा शर्तों पर पूरी निगरानी रखेगा। सरकार का कहना है कि यह कंपनी नॉन-प्रॉफिट मॉडल पर काम करेगी और उद्देश्य केवल कर्मचारियों को सुरक्षा और पारदर्शिता देना है।