onwin giriş
Home देश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आईएनएस वाघशीर पर की सॉर्टी, नौसेना की स्वदेशी ताकत का किया निरीक्षण

नई दिल्ली/कारवार। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को भारतीय नौसेना की स्वदेशी रूप से निर्मित कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर पर सवार हुईं। कर्नाटक के कारवार स्थित नौसैनिक अड्डे पर पहुंचीं राष्ट्रपति ने पनडुब्बी की परिचालन क्षमता, स्टील्थ फीचर्स और हथियार प्रणालियों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी भी मौजूद रहे।

भारत की सशस्त्र सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर के रूप में राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा भारतीय नौसेना की क्षमताओं और आत्मनिर्भर भारत के रक्षा निर्माण कार्यक्रम का सशक्त प्रतीक मानी जा रही है। पनडुब्बी पर वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों और कमांडिंग ऑफिसर ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। उन्हें भारतीय नौसेना के अंडरवॉटर वॉरफेयर नेटवर्क, समुद्र में तैनाती के दौरान आने वाली चुनौतियों, प्रशिक्षण और मिशन प्रोफाइल की भी विस्तृत जानकारी दी गई।

यह सॉर्टी कई मायनों में ऐतिहासिक रही। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू कलवरी क्लास की पनडुब्बी पर सवार होने वाली दूसरी राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पनडुब्बी पर सॉर्टी की थी। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, कारवार स्थित नौसैनिक प्रतिष्ठानों पर राष्ट्रपति की मौजूदगी से नौसेना का मनोबल बढ़ा है और यह दर्शाता है कि देश का शीर्ष नेतृत्व सैन्य तैयारियों का प्रत्यक्ष अनुभव लेने को लेकर कितना सक्रिय है।

आईएनएस वाघशीर प्रोजेक्ट–75 के तहत निर्मित अत्याधुनिक पनडुब्बी है, जो आधुनिक सेंसर, हथियार प्रणालियों और ध्वनि-रहित संचालन क्षमता से लैस है। हिंद महासागर क्षेत्र में यह भारत की समुद्री शक्ति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ मानी जाती है। राष्ट्रपति की यह यात्रा पश्चिमी समुद्री तट पर नौसेना के परिचालन क्षेत्रों के व्यापक मूल्यांकन का भी हिस्सा रही।

गौरतलब है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इससे पहले भी तीनों सेनाओं के साथ सक्रिय जुड़ाव दिखा चुकी हैं। अक्टूबर महीने में उन्होंने हरियाणा के अंबाला वायुसेना स्टेशन से भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक लड़ाकू विमान राफेल में उड़ान भरी थी। वहीं 8 अप्रैल 2023 को असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन पर उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में सॉर्टी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया था। इन अभियानों को भारतीय सशस्त्र बलों के प्रति राष्ट्रपति के समर्थन और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।

रक्षा विशेषज्ञों ने राष्ट्रपति की इस पहल को नौसेना और समग्र रूप से सशस्त्र बलों के लिए प्रेरणादायक क्षण बताया है, जो देश की रक्षा तैयारियों के प्रति सर्वोच्च नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Similar Posts

© 2015 News Way· All Rights Reserved.