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अंकिता भंडारी हत्याकांड पर उर्मिला सनावर के वीडियो से सियासी हलचल, भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व सतर्क

देहरादून।
उत्तराखंड के अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर अभिनेत्री उर्मिला सनावर द्वारा सोशल मीडिया पर जारी किए गए वीडियो ने राज्य की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया है। वीडियो में वीआईपी नामों के खुलासे और भाजपा से जुड़े एक नेता का नाम सामने आने के बाद मामला अब भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंच गया है। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने पूरे प्रकरण की जानकारी ली है और लगातार सामने आ रहे तथ्यों व राजनीतिक गतिविधियों पर करीबी नजर बनाए हुए है।

बीते कई दिनों से उर्मिला सनावर के सिलसिलेवार वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इन वीडियो में वह अंकिता भंडारी हत्याकांड की परतें खोलने का दावा कर रही हैं और वीआईपी एंगल को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं पर गंभीर आरोप लगा रही हैं। उनके दावों में कथित फोन कॉल रिकॉर्ड, तस्वीरें और बातचीत का जिक्र भी शामिल है, जिससे भाजपा के भीतर असहजता बढ़ गई है।

उर्मिला सनावर की ओर से रोजाना सोशल मीडिया पर लाइव आकर लगाए जा रहे आरोपों को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता चिंतित नजर आ रहे हैं। प्रदेशभर में लोग इन वीडियो पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जिससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। पहले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने मामले को कांग्रेस से जोड़ते हुए पलटवार किया था, जबकि बाद में प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने कानूनी कार्रवाई की बात कही।

उधर, कांग्रेस और उत्तराखंड क्रांति दल (UKD) ने मामले को गंभीर बताते हुए सीबीआई जांच की मांग तेज कर दी है। विपक्ष का आरोप है कि सच्चाई को दबाने की कोशिश की जा रही है। इस सियासी घमासान का असर अब दिल्ली तक दिखाई देने लगा है।

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाई से पूरे मामले पर रिपोर्ट तलब की है। अंकिता भंडारी हत्याकांड के सभी पहलुओं, न्यायालय के फैसले और पार्टी नेताओं के रुख पर भी नजर रखी जा रही है। माना जा रहा है कि इस पूरे घटनाक्रम का असर भविष्य में होने वाले संगठनात्मक फेरबदल पर भी पड़ सकता है। इसी वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेता अब मीडिया से सीधे बातचीत करने से बचते नजर आ रहे हैं।

हालांकि, शुक्रवार को प्रदेश प्रवक्ता और राजपुर विधायक खजानदास ने मीडिया के सामने पार्टी का पक्ष रखा।

भाजपा राष्ट्रीय नेतृत्व इस पूरे मामले को केवल कानूनी या नैतिक नजरिए से ही नहीं, बल्कि सियासी नफा-नुकसान के रूप में भी देख रहा है। पिछले नौ वर्षों से सत्ता में काबिज भाजपा के सामने 2027 के विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक की चुनौती है। ऐसे में पार्टी ने नेताओं को बेवजह की बयानबाजी से बचने और बेहद सतर्क रणनीति अपनाने के निर्देश दिए हैं।

कुल मिलाकर, अंकिता भंडारी हत्याकांड एक बार फिर राजनीतिक केंद्र में आ गया है और आने वाले दिनों में यह मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में और अधिक गरमा सकता है।

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