नई दिल्ली। लोकसभा में सोमवार को वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष, विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी, पर तीखे हमले किए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् भारत की स्वतंत्रता का सिर्फ नारा नहीं, बल्कि उपनिवेशवाद के खिलाफ पवित्र युद्धघोष था, जिसके साथ समय-समय पर राजनीतिक अन्याय हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् का स्मरण करना देश के लिए सौभाग्य की बात है और यह अवसर ऐतिहासिक है। उनके अनुसार, यह गीत केवल अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक नहीं, बल्कि भारतमाता को औपनिवेशिक बंधनों से मुक्त करने का आह्वान था।
सदन में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते वंदे मातरम् के टुकड़े तक कर दिए। उन्होंने दावा किया कि 1936 में लखनऊ से मोहम्मद अली जिन्ना के विरोध के बाद कांग्रेस नेतृत्व दबाव में आ गया और तत्कालीन अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने वंदे मातरम् पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए।
मोदी ने कहा,
“तुष्टीकरण की राजनीति के दबाव में कांग्रेस वंदे मातरम् के बंटवारे के लिए झुकी, और यही कारण था कि एक दिन उसे भारत के बंटवारे के लिए भी झुकना पड़ा।”
पीएम मोदी ने कांग्रेस नेताओं की ओर मुखातिब होकर कहा कि वंदे मातरम् के 100 वर्ष पूरे होने के समय देश आपातकाल की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। उन्होंने इसे भारत के इतिहास का “काला अध्याय” बताते हुए कहा कि अब वंदे मातरम् की महानता को पुनर्स्थापित करने का यह सही समय है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सदी में व्यापक भावनात्मक जुड़ाव के बावजूद वंदे मातरम् के साथ अन्याय हुआ और इसका सही इतिहास युवा पीढ़ी को बताया जाना चाहिए।
मोदी ने कहा कि 1936 में मुस्लिम लीग और जिन्ना के विरोध के बाद नेहरू ने सुभाष चंद्र बोस के सामने चिंता जताई थी और यह तर्क दिया गया था कि गीत से मुस्लिम भावनाएं आहत हो सकती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि यह तर्क वंदे मातरम् के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को कम करने वाला था।
अपने संबोधन के अंत में पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् केवल राजनीतिक लड़ाई नहीं थी, बल्कि मां भारती को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने की एक पवित्र युद्धपुकार थी।

