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इंडिगो में परिचालन संकट गहराया: दिल्ली व बेंगलुरु से 251 उड़ानें रद्द, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो बीते सात दिनों से अभूतपूर्व परिचालन अव्यवस्था से जूझ रही है। 2 दिसंबर से लगातार उड़ानें रद्द होने का सिलसिला थम नहीं रहा है, जिसकी वजह से यात्रियों में भारी नाराज़गी है और सरकार भी इस स्थिति पर कड़ी निगरानी बनाए हुए है।

सोमवार को एयरलाइन ने कुल 251 उड़ानें रद्द कर दीं, जिनमें दिल्ली एयरपोर्ट से 134 और बेंगलुरु एयरपोर्ट से 117 उड़ानें शामिल थीं। बड़े पैमाने पर हुई इन रद्दियों के कारण हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे रहे और कई घंटों तक असमंजस की स्थिति का सामना करना पड़ा।

एयरलाइन ने परिचालन संकट के पीछे पायलटों से जुड़े नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को जिम्मेदार बताया है। इन नियमों के तहत पायलटों के लिए साप्ताहिक विश्राम समय 48 घंटे कर दिया गया है, रात की उड़ानों की परिभाषा विस्तृत की गई है और रात के समय लैंडिंग की अधिकतम संख्या 6 से घटाकर 2 कर दी गई है। एयरलाइंस का कहना है कि इन बदलावों के कारण अतिरिक्त पायलटों की आवश्यकता बढ़ गई है, जिससे शेड्यूलिंग प्रभावित हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, संकट का सातवां दिन भी स्थिति में सुधार के संकेत नहीं मिले हैं। शुक्रवार को एयरलाइन ने रिकॉर्ड 1,600 उड़ानें रद्द की थीं, जिसके बाद इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स ने वीडियो संदेश जारी कर यात्रियों से माफी मांगी, हालांकि उन्होंने उस दिन इतनी बड़ी संख्या में रद्दियों की सूचना पहले से नहीं दी थी।

उधर, विमानन सुरक्षा नियामक DGCA ने इस संकट को गंभीरता से लेते हुए इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एवं अकाउंटेबल मैनेजर इसिड्रो पोरकेरस को जारी किए गए शो-कॉज नोटिस पर जवाब देने की समयसीमा बढ़ाकर सोमवार शाम 6 बजे तक कर दी है। नोटिस में DGCA ने उड़ान संचालन में भारी विफलता को योजना, निगरानी और संसाधन प्रबंधन में गंभीर चूक बताया है।

FDTL नियम 1 जुलाई और 1 नवंबर से चरणबद्ध तरीके से लागू किए गए हैं। हालांकि, इंडिगो को नियमों के दूसरे चरण के अनुपालन में 10 फरवरी तक की अस्थायी राहत दी गई है। इन नियमों का घरेलू एयरलाइंस, खासकर इंडिगो और एयर इंडिया, ने प्रारंभ में विरोध भी किया था।

यात्रियों की बढ़ती परेशानी और लगातार बिगड़ती स्थिति को देखते हुए यह संकट भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। यदि परिचालन जल्द सामान्य नहीं हुआ, तो इसका प्रभाव आने वाले दिनों में और व्यापक हो सकता है।

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