नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के बीच शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में हुई शिखर वार्ता के दौरान दोनों देशों ने अमेरिकी टैरिफ और रूस पर लगे प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए एक व्यापक 5 वर्षीय आर्थिक व व्यापारिक सहयोग योजना पर सहमति जताई। इस बैठक में रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, रणनीतिक सहयोग और वैश्विक परिस्थितियों सहित कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई।
वार्ता का प्रमुख केंद्र बिंदु था—अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीदने पर भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ और रूस पर लगाए गए प्रतिबंध, जिनसे दोनों देशों के आपसी व्यापार पर असर पड़ सकता था।
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखी है। पुतिन की भारत यात्रा से पहले रूसी नेतृत्व ने भारत को संभावित आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार करवाई थी। अब उसी योजना को मोदी–पुतिन वार्ता के बाद मंजूरी मिल गई है। यह 5 वर्षीय साझेदारी दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने पर केंद्रित होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार भारत और रूस के बीच यह नई व्यापारिक समझ अमेरिकी रणनीति के लिए चुनौती मानी जा रही है। अमेरिका को उम्मीद थी कि ऊंचे टैरिफ के चलते भारत रूस से ऊर्जा खरीद कम कर देगा, परंतु भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति को बरकरार रखते हुए रूस से आयात जारी रखा।
भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि और रूस द्वारा तेल कीमतों में की गई रियायतों ने अमेरिकी दबाव को काफी हद तक बेअसर कर दिया। इस कारण अमेरिका का रुख भारत के प्रति हाल के महीनों में नरम होता देखा गया है।
टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कई साझेदार देशों के साथ व्यापारिक मार्गों को विस्तार देना शुरू किया। इससे अमेरिकी टैरिफ का असर काफी कम हो गया। मोदी सरकार की इस रणनीति को रूस का भी समर्थन मिला, जिसने भारत को सस्ता तेल उपलब्ध कराना जारी रखा।
दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य पहले ही तय कर रखा था। लेकिन शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह लक्ष्य 2030 से पहले ही हासिल हो जाएगा।
बैठक के दौरान स्वास्थ्य, गतिशीलता, शिक्षा विनिमय और विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग से जुड़े कई समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए।
वार्ता के बाद पीएम मोदी ने कहा कि
“बीते आठ दशकों के वैश्विक उतार-चढ़ावों के बावजूद भारत और रूस की मित्रता ध्रुव तारे की तरह स्थिर और प्रकाशमान है।”

