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कुमाऊं द्वार महोत्सव: संस्कृति, अस्मिता और आत्मनिर्भरता का उत्सव

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित पांच दिवसीय कुमाऊं द्वार महोत्सव में प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा कि यह महोत्सव केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी पहचान, जड़ों और अस्मिता से जुड़ा हुआ है।

मुख्यमंत्री ने महोत्सव में प्रस्तुति देने वाले लोक कलाकारों की सराहना करते हुए कहा कि यह आयोजन उन्हें मंच, सम्मान और पहचान दिलाता है। उन्होंने बताया कि तकनीक और वैश्वीकरण के दौर में भी यह महोत्सव नई पीढ़ी को संस्कृति से जोड़ने का कार्य कर रहा है।

मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि:

उत्तराखंड की टोपी, अब राष्ट्रीय पहचान बन चुकी है।

3200 लोक कलाकारों को कोरोना काल में मासिक ₹2000 की सहायता दी गई।

लोक कलाकारों की सूची तैयार की जा रही है ताकि उन्हें सुविधाएं समय पर मिल सकें।

गुरु-शिष्य परंपरा के तहत छह माह की कार्यशालाएं आयोजित हो रही हैं।

साहित्य गौरव सम्मान जैसे पुरस्कारों के माध्यम से साहित्यकारों को भी सम्मानित किया जा रहा है।

उन्होंने “स्वदेशी अपनाओ, देश को मजबूत बनाओ” के प्रधानमंत्री के मंत्र को अपनाने की अपील की और कहा कि स्वदेशी उत्पादों के उपयोग से आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव है।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बनाए गए उत्पादों के स्टॉल का भी अवलोकन किया और “लखपति दीदी योजना” के तहत महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में हो रहे कार्यों पर प्रकाश डाला।

अंत में उन्होंने कहा कि यह दशक उत्तराखंड का दशक है और इसमें माताओं-बहनों की भूमिका सबसे अहम होगी।

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